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Maha Kumbh 2025: ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर पद से दिया इस्तीफा, बोलीं- साध्वी थी, वहीं बनकर रहूंगी

Maha Kumbh 2025

10-Feb-2025 05:01 PM

Maha Kumbh 2025: ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे दिया है। इस बात की घोषणा उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर की है। ममता ने कहा कि वह पिछले 25 साल से साध्वी थीं और आगे भी साध्वी हीं रहेंगी।


दरअसल, महाकुंभ के बीच भारतीय फिल्मों की एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े में दीक्षा प्राप्त की और संन्यास ले लिया। किन्नर अखाड़े की तरफ से उन्हें महामंडलेश्वर पद से नवाजा गया। इसके बाद से ही इसको लेकर विवाद शुरू हो गया। उनके महामंडलेशवर बनाए जाने के बाद किन्नर अखाड़ के एक गुट ने विरोध जताया और बाद में उन्हें पद से हटा दिया गया।


अब ममता कुलकर्णी ने खुद किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफे का एलान कर दिया है। ममता ने सोशल मीडिया पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि “मैं महामंडलेश्वर, यामाई ममता नंदगिरी, इस पद से इस्तीफा दे रही हूं। आज किन्नर अखाड़े या दोनों अखाड़ों के बीच जो मुझे लेकर विवाद चल रहा है इसलिए मैं ये इस्तीफा दे रही हूं। मैं पिछले 25 साल से साध्वी थी और मैं आगे भी साध्वी ही रहूंगी। ये महामंडलेश्वर का मुझे जो सम्मान दिया गया था वो एक प्रकार का सम्मान होता है जिसमें एक इंसान जिसने 25 साल स्विमिंग की हो उससे ये कहा जाता है कि आज के बाद जो बच्चें स्विमिंग करने आएंगे उन्हें स्विमिंग का ज्ञान देना। लेकिन ये कुछ लोगों के लिए आपत्ति जनक हो गया”।


उन्होंने आगे लिखा, “बॉलीवुड तो मैंने 25 साल पहले छोड़ दिया था। मैं अपने आप गायब रही वरना मेकअप से, बॉलीवुड से इतना दूर कौन रहता है। मेरी काफी चीजों पर लोगों की प्रतिक्रिया हैं कि मैं ये क्यों करती हूं, वो क्यों करती हूं। नारायण तो सब सम्पन्न हैं। वो सब प्रकार के आभूषण पहनकर, धारण करके महायोगी हैं, भगवान हैं। कोई देवी देवता आप देखोगे किसी प्रकार के श्रृंगार से कम नहीं और मेरे सामने सब आए थे, सब इसी श्रृंगार में आ गए थे”।


ममता ने कहा है कि “मैंने देखा कि मेरे महामंडलेश्वर होने से काफी लोगों को तकलीफ हो गई थी। चाहें वो शंकराचार्य हो कौन हो। कोई कहता है, एक शंकराचार्य ने कहा कि ये जो किन्नर अखाड़े हैं उनके बीच में ममता फंस गई। इन सब बातों को देखने के बाद मैं कहती हूं कि मेरे गुरु जिनके मार्गदर्शन में मैंने 25 साल तक तपस्या की है, वे श्री चैतन्य गगनगिरी महाराज हैं, वे एक महान संत थे। उनकी बराबरी में मुझे कोई दिखता ही नहीं है। सब झगड़ रहे हैं एक-दूसरे से। मेरे गुरु तो काफी ऊंचे हैं और उनके सानिध्य में हमने 25 साल तप किया है। मुझे किसी कैलाश में जाने की जरूरत नहीं। सारा भ्रमांड मेरे सामने है”।


उन्होंने अंत में कहा कि “25 साल से मैंने उनकी घोर तपस्या की है। लेकिन आज मेरे महामंडलेश्वर होने से जिनको समस्या हुई है, मैं उनके बारे में कम बोलूं तो अच्छा है। इनको ब्रह्मविद्या, इनको किसी चीज से कोई लेना-देना नहीं है। इनको पता ही नहीं है ये क्या होता है। मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि मैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का सम्मान करती हूं। जहां तक पैसे के लेन-देन की बात है तो मुझसे 2 लाख रुपये मांगे गए थे, लेकिन मैंने महामंडलेश्वर और जगदगुरुओं के सामने कहा था कि मेरे पास 2 लाख रुपये नहीं हैं। तब महामंडलेश्वर जय अंबा गिरी ने अपनी जेब से 2 लाख रुपये निकालकर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को दिए थे। मैंने 25 साल से चंडी की अराधना की है। उन्होंने ने ही मुझे संकेत दिया कि मुझे इन सबसे बाहर हो जाना चाहिए”।