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Tadi Politics in Bihar:बिहार चुनाव से पहले ताड़ी विवाद तेज, दलित वोट बैंक साधने की कोशिश

Tadi Politics in Bihar: बिहार में ताड़ी (ताड़ के रस से बनने वाला पेय) को लेकर राजनीति गरमा गई है। तेजस्वी यादव ने इसे शराबबंदी कानून से छूट देने की मांग की है, जिसका समर्थन NDA के कुछ सहयोगी भी कर रहे हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 08 Mar 2025 03:01:26 PM IST

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प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google

Tadi Politics in Bihar: बिहार, जो 2016 से शराबबंदी कानून के तहत (dry state) की श्रेणी में आती  है .यहाँ ताड़ी (ताड़ के पेड़ से प्राप्त पेय) को लेकर राजनीतिक माहौल एक बार फिर से गरम हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में ताड़ी-टैपिंग (ताड़ी निकालने) को शराबबंदी कानून से रियायत  देने की मांग की है। तेजस्वी की इस मांग को महागठबंधन के साथ-साथ NDA के कुछ नेताओं का भी समर्थन मिल रहा है, जिसमें चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) भी शामिल हो शामिल हो गयी  है।


इस विवाद के केंद्र में पासी समाज है, जो परंपरागत रूप से ताड़ी निकालने का कार्य करता आ रहा है। बिहार की 2023 की जातीय जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जाति (SC) की आबादी लगभग 20% है, जिसमें पासी समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 0.98% है। संख्या में कम होने के बावजूद भी बिहार की जातिगत राजनीति में दलित वोट बैंक की अहमियत बढ़ जाती है |इस विवाद की एक प्रमुख वजह उत्तर प्रदेश के 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजे भी हैं, जहां भाजपा की सीटें 62 से घटकर 33 रह गईं। इसका बड़ा कारण पासी जैसे दलित उपवर्गों का भाजपा से दूर होना माना जा रहा है। इसी को भांपते हुए महागठबंधन बिहार में दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है।


इस सियासी माहौल में NDA के अधिकतर सहयोगी दल — जद (यू) को छोड़कर — ताड़ी  पर लगी  प्रतिबंध को हटाने की मांग अपने अपने तरीके से  समर्थन कर रहे हैं।इधर , तेजस्वी यादव भी अपना तर्क प्रस्तुत जनता के सामने कर रहें है और लोगो को बता रहें हैं कि शराबबंदी कानून के तहत अब तक लगभग 12.80 लाख से अधिक लोग जेल में सजा भुगत रहें हैं, जिनमें से 99% लोग दलित और अति पिछड़ा समाज से आते हैं। उन्होंने यहाँ तक कह दिया  कि इस कानून को गरीबों के शोषण का सबसे बड़ा माध्यम है| तेजस्वी यादव ने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने अपने शासनकाल में ताड़ी पर लगने वाले टैक्स को माफ कर दिया था।


उधर ,जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर ने कई वार कहा है कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो वह एक घंटे के भीतर शराबबंदी को  खत्म कर देंगे। आपको बता दें कि NDA में चिराग पासवान ने ताड़ी और नीरा को शराब की श्रेणी में रखने का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह एक प्राकृतिक पेय है और इसे शराब की श्रेणी में रखना गलत है क्योंकि इससे बड़ी संख्या में लोग अपनी आजीविका चलाकर अपने परिवार की भरणपोषण करते हैं | सूत्रों के अनुसार कुछ भाजपा  नेताओं का मानना है कि शराबबंदी के कारण महिलाओं का समर्थन NDA को मिला है , लेकिन इससे दलित समुदाय का एक बड़ा वर्ग उनसे छिटक भी गया है। वहीं भाजपा के अनुसार, ताड़ी पर बैन हटाने की RJD ये  मांग राजनितिक रोटियां सेकने के लिए कर रही है।


नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) का मानना है कि शराबबंदी के कारण बिहार में महिलाओं का जीवन काफी हद तक बेहतर हुआ है। 2022 में जब पासी समाज ने अपनी समस्याएं उठाईं, तो मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि उनकी आजीविका बचाने के लिए नीरा केंद्र खोले जाएं। बिहार की राजनीति में पासी समाज को साधने के लिए सभी पोलिटिकल पार्टियाँ उनको लुभाने की भरपूर कोशिश कर रही हैं।कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी बिहार में पासी और दलित समाज के वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के प्रयास किया है| उन्होंने फरवरी में पटना में स्वतंत्रता सेनानी और पासी समुदाय के बड़े नेता रहें जगलाल चौधरी की 130वीं जयंती शामिल हुए थे |


RJD और जद (यू) दोनों ही पार्टियाँ  पासी समाज को अपने पाले में करने के लिए सक्रिय नजर आ राही हैं। RJD के पास उदय नारायण चौधरी, संतोष निराला और मुनेश्वर चौधरी जैसे पासी नेता हैं, जबकि जद (यू) ने अशोक चौधरी को मंत्री और पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया है,ताकि समाज में एक गहरा असर पड़े |वहीं, भाजपा के पास पासी समुदाय का कोई बड़ा चेहरा फिलहाल नहीं है। पहले गया से तीन बार सांसद रहे ईश्वर चौधरी और उनके भाई कृष्ण चौधरी एक ज़माने में  भाजपा के पासी वोट बैंक के बड़ा चेहरा हुआ करते थे, हालाँकि,1990 के बाद RJD और जद (यू) ने इस वोट बैंक को अपने पलड़े में करने  में सफल रहीं ।