1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 02 Nov 2025 08:51:21 AM IST
लालू प्रसाद यादव सियासी विवादों - फ़ोटो GOOGLE
Lalu Prasad Yadav Controversy: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव एक बार फिर सियासी विवादों में घिर गए हैं। यह विवाद उस समय उभरा जब सोशल मीडिया पर लालू यादव का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे अपने पोते-पोतियों के साथ हैलोवीन मना रहे थे। इस दौरान बच्चे हैलोवीन की पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए। यह वीडियो उनके परिवार की ओर से साझा किया गया, जिसमें लालू यादव की बेटी और आरजेडी नेता रोहिणी आचार्य ने लिखा, “हैप्पी हैलोवीन टू एवरीवन।”
वीडियो के वायरल होने के बाद भाजपा किसान मोर्चा ने सोशल मीडिया पर तीखा हमला बोला। उनके आधिकारिक अकाउंट से पोस्ट किया गया, “बिहार के लोगों, मत भूलो कि यही लालू यादव हैं जिन्होंने आस्था और अध्यात्म के भव्य पर्व महाकुंभ को फालतू बताया था और अब विदेशी त्योहार हैलोवीन मना रहे हैं। जो आस्था पर चोट करेगा, उसे बिहार की जनता वोट नहीं देगी।”
दरअसल, इस वर्ष फरवरी में लालू यादव ने महाकुंभ को लेकर बयान दिया था। बढ़ती भीड़ और महाकुंभ के महत्व के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा था, “अरे ये सब कुंभ का क्या कोई मतलब है, फालतू है कुंभ।” उस वक्त भी भाजपा ने उन पर हिंदू धार्मिक भावनाओं का अपमान करने का आरोप लगाया था। भाजपा प्रवक्ता मनोज शर्मा ने कहा था कि लालू यादव का यह बयान उनकी तुष्टिकरण की राजनीति को दर्शाता है और आरजेडी नेता हमेशा हिंदू आस्था का अपमान करते रहे हैं।
इस नए विवाद ने बिहार विधानसभा चुनाव अपने अंतिम चरण में पहुंचने के समय और गर्मी बढ़ा दी है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होना है, जबकि चुनावी नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। सियासी विश्लेषकों का मानना है कि इस विवाद का असर आरजेडी की छवि और चुनावी प्रदर्शन पर पड़ सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों का संवेदनशीलता अधिक है।
इस बीच, आरजेडी का कहना है कि लालू यादव का यह व्यक्तिगत और पारिवारिक उत्सव था, जिसे राजनीतिक रंग देना सही नहीं है। पार्टी का दावा है कि बच्चों के साथ हैलोवीन मनाना केवल पारिवारिक खुशियों का हिस्सा था और इसका कोई धार्मिक या राजनीतिक अर्थ नहीं है।
चुनाव के अंतिम दौर में इस तरह के सांस्कृतिक विवाद मतदाताओं की भावनाओं को भड़काने और सियासी दलों के लिए प्रचार के नए हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इस विवाद ने बिहार विधानसभा चुनाव की चुनावी रणनीति और मीडिया चर्चा दोनों को तेज कर दिया है।