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BIHAR NEWS: RCD में सालों पहले हुए करोड़ों के फर्जीवाड़े में डिप्टी CM सख्त... विजय सिन्हा की सजकता से अब घोटाले से उठेगा पर्दा

Bihar Corruption: पथ निर्माण विभाग में 2015-17 में हुए करोड़ों के फर्जीवाड़े में डिप्टी CM विजय सख्त हो गए हैं. इसके बाद पूरे मामले के खुलासे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना दिखने लगी है.

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Fri, 03 Jan 2025 08:54:53 PM IST

BIHAR NEWS, BIHAR SAMACHAR

डिप्टी सीएम की तस्वीर - फ़ोटो

Bihar Corruption: पथ निर्माण विभाग के पथ प्रमंडल-1गया में करोड़ों की गड़बड़ी की शिकायत आई. चारा घोटाले की तर्ज पर फर्जी पत्र लगाकर सरकारी खजाने में सेंध लगाई गई. 1st Bihar/Jharkhand ने इस बड़े खेल का खुलासा किया. इसके बाद पथ निर्माण विभाग के मंत्री सह सूबे के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा पूरे एक्शन में आ गए हैं. बताया जाता है कि यह फर्जीवाडा 2015 से लेकर 2017 तक किया गया है. तब सूबे के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव थे. उप मुख्यमंत्री  विजय कुमार सिन्हा ने इस फर्जीवाड़े, घोटाले के खुलासे पर सख्त रूख अपना लिया है. उन्होंने कहा है कि इस तरह के खुलासा करने वाले बधाई के पात्र हैं. यह मामला काफी पुराना है, फिर भी पूरे मामले की जांच कराई जा रही है. जल्द ही दोषी बेनकाब होंगे. 1st Bihar/Jharkhand की खबर के बाद एक्शन में आए पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा की इस सजगता से इस बड़े मामले का खुलासा होते दिख रहा है.

बता दें, 1ST Bihar/Jharkhand  के खुलासे के बाद 27 दिसंबर 2024 को पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता-अधीक्षण अभियंता से शो-कॉज पूछा गया है. अभियंता प्रमुख ने इंजीनियरों से स्पष्टीकरण मांगा है. जानकारी के अनुसार, एक पत्र पाकुड के खनन कार्यालय को भी भेजा गया है, जिसमें स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है. 1ST Bihar/Jharkhand ने 25 दिसंबर 2024 को प्रमाण के साथ खुलासा किया कि पथ निर्माण विभाग के पथ प्रमंडल सं-1 गया में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों-करोड़ का घोटाला हुआ है. बताया जा रहा है कि 25 करोड़ से अधिक का फर्जीवाड़ा किया गया है. आंतरिक खुलासा खुद गया के कार्यपालक अभियंता ने ही कराया, पर दबाकर बैठे रहे. दरअसल, इस बड़े घोटाले का आंतरिक खुलासा पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता के पत्र से ही हुआ था. पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता ने 6 अगस्त 2024 को पत्र सं.1257 के माध्यम से पाकुड़ (झारखंड) के खनन अफसर को पत्र लिखा. जिसमें इनके कार्यालय (खनन कार्यालय पाकुड) से जारी कुल 6 पत्रों को सत्यापित करने को कहा. पत्र सं-312/M,06.04.2015, 370/M 24.04.2015, 408/M 14.05.15, 379/M 02.05.2015, 398/M 13.05.2015 एवं 13.05.2015 DATE 13.05.2015 (सभी पत्र 2015 के हैं) को सत्यापित करने को कहा. पाकुड के खनन कार्यालय से सत्यापित करने को कहा गया कि यह चिट्ठी आपके कार्यालय से जारी हुआ है या नहीं ? पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता ने बजाप्ता अपने एक सहायक अभियंता निशांत राज को इस काम के लिए प्राधिकृत किया था. 

पाकुड के खनन अधिकारी ने 8 अगस्त 2024 को ही दिया था जवाब

पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता के पत्र संख्या 1257 के आलोक में जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ (झारखंड) ने 8 अगस्त 2024 को जवाब भेजा। जिसमें जानकारी दी गई है कि उपरोक्त सभी पत्र कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल -1 गया को निर्गत नहीं है। पाकुड के खनन पदाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि जिस 6 पत्रों के बारे में उल्लेख किया गया है, वह उनके कार्यालय से जारी नहीं है, यानि उपरोक्त सभी पत्र फर्जी हैं। 

ERTRA कैरेज कॉस्ट के रूप में करोड़ों का हुआ भुगतान 

बता दें, आरोप है कि फर्जी पत्र लगवाकर पथ प्रमंडल-1 गया ने किसी ### कंस्ट्रक्शन कंपनी को करोड़ों रु (extra कैरेज कॉस्ट) का भुगतान किया है। E.E. गया और पाकुड़ के खनन अफसर के बीच हुए पत्राचार का दोनों पत्र हमारे पास  मेरे पास है। इसके बाद पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय से भी की गई,लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूरा मामला  Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान का है. झारखंड के पाकुड खनन कार्यालय का फर्जी पत्र लगाकर 2015-16 में करोड़ों का भुगतान लेने की बात है. शिकायत दर्ज कराई गई है कि सड़क निर्माण में लगने वाले पत्थर को झारखंड से लाने का फर्जी पत्र स्वीकार कर पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता ने निर्माण कंपनी को Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान 

मामले को दबाकर बैठे रहे कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा 

खुलासे के बाद पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा मामले को दबाकर चुप्पी साधे बैठे रहे. हमने उनसे भी पूछा तो उनके पास जवाब नहीं था, वे बचते दिख रहे थे.बचने के लिए फोन अपने सहायक अभियंता को थमा दिया. सहायक अभियंता ने कहा कि यह मामला कार्यपालक अभियंता के क्षेत्राधिकार में है. यानि जवाब न देकर पूरे मामले को दबाने की कोशिश की गई। वहीं पथ निर्माण विभाग गया अंचल के अधीक्षण अभियंता भी पूरे खेल को जान रहे थे.  हमने उनसे भी पूछा, वे भी इस मसले पर चुप हो गए. उनसे पूछा गया कि इस मामले पर क्या कार्रवाई होगी ? इस सवाल का जवाब उनके पास नहीं था. ऐसा लग रहा था कि वे भी इस पूरे खेल में शामिल हों.