DESK : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को दो बड़े सुधारों से जुड़े विधेयकों को मंजूरी दे दी। पहला बड़ा सुधार लड़कियों के विवाह की उम्र से जुड़ा है। मोदी सरकार के कार्यकाल में विवाह के संबंध यह दूसरा बड़ा सुधार है जो समान रूप से सभी धर्मों के लिए लागू होगा।
वहीं, चुनाव सुधारों से जुड़े विधेयक को भी मंजूदी दे दी गई है। इस विधेयक के संसद से पास होने पर वोटर आईडी को आधार कार्ड से जोड़ने के साथ ही नए वोटरों को रजिस्ट्रेशन के ज्यादा मौके मिलेंगे।
कैबिनेट ने लड़कों और लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान यानी 21 वर्ष करने के विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह कानून लागू हुआ तो सभी धर्मों और वर्गों में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी। माना जा रहा है कि ये दोनों विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश किए जाएंगे। बता दें कि अभी लड़की के शादी की उम्र 18 वर्ष है और लड़के की उम्र 21 वर्ष है।
युवतियों की न्यूनतम उम्र में आखिरी बदलाव 1978 में किया गया था और इसके लिए शारदा एक्ट 1929 में परिवर्तन कर उम्र 15 से 18 की गई थी। यूनिसेफ के अनुसार भारत में हर साल 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो होती है। जनगणना महापंजीयक के मुताबिक देश में 18 से 21 साल के बीच विवाह करने वाली युवतियों की संख्या करीब 16 करोड़ है।
यह दोनों ही सुधार अपने आप में क्रांतिकारी माने जा रहे हैं। लड़कियों और लड़कों के विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान करने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में लालकिले से अपने संबोधन के दौरान की थी। वहीं, चुनाव सुधारों का मुद्दा चुनाव आयोग काफी समय से उठाता आ रहा है।