विधानमंडल के सत्र पर विपक्ष के दबाव के सामने झुकी सरकार, एक महीने 6 दिन तक चलेगा सत्र, 19 फरवरी से शुरूआत

विधानमंडल के सत्र पर विपक्ष के दबाव के सामने झुकी सरकार, एक महीने 6 दिन तक चलेगा सत्र, 19 फरवरी से शुरूआत

PATNA : बिहार विधानमंडल के सत्र को दो-तीन दिनों में निपटा लेने के मूड में दिख रही सरकार विपक्ष के दबाव के सामने झुक गयी है. सरकार ने मंगलवार को ये फैसला लिया है कि विधानसभा और विधान परिषद का बजट सत्र एक महीने 6 दिने तक चलेगा. 19 फरवरी से सत्र की शुरूआत होगी. गौरतलब है कि सरकार ने कोरोना वैक्सीन का हवाला देते हुए 2-3 दिनों का बजट सत्र बुलाने की योजना बनायी थी लेकिन तेजस्वी यादव समेत पूरे विपक्ष ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ सत्र का बहिष्कार कर सीएम का आवास घेरने का एलान कर दिया था.


कैबिनेट की बैठक में लिया गया फैसला
मंगलवार को हुई नीतीश कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया कि बिहार विधानसभा और विधान परिषद का सत्र 19 फरवरी से शुरू हो कर 24 मार्च तक चलेगा. सरकार इस सत्र के दौरान अगले वित्तीय वर्ष के लिए बजट पेश करेगी. 19 फरवरी को सत्र की शुरूआत राज्यपाल के अभिभाषण से होगी. राज्यपाल विधानमंडल के दोनों सदनों यानि विधानसभा और विधान परिषद की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगे.


विपक्ष का दबाव काम आया
दरअसल 10 दिन पहले बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को बुलाकर कहा था कि सरकार विधानमंडल का सत्र दो-तीन दिनों का ही बुलाना चाहती है. सरकार कोरोना के वैक्सीन में लगी है इसलिए विधानमंडल का लंबा सत्र नहीं चलाया जा सकता. सरकार के इस फैसले के बाद विपक्षी दलों ने हल्ला बोल दिया था. अगले ही दिन तेजस्वी यादव ने सारी विपक्षी पार्टियों के साथ बैठक की और एलान कर दिया कि अगर विधानमंडल का दो-तीन दिनों का छोटा सत्र  चला तो तमाम विपक्षी पार्टियां न सिर्फ सदन का बहिष्कार करेंगी बल्कि सीएम और डिप्टी सीएम के घर का घेराव भी करेंगी.


दरअसल बिहार में विधानसभा और विधान परिषद के साल में तीन सत्र होते हैं. बजट सत्र, मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र. इनमें बजट सत्र ही लंबा चलता है. बाकी दोनों सत्र तीन-चार दिनों के होते हैं जिसमें सरकार अपना जरूरी संसदीय काम निपटाती है. विधानमंडल का बजट सत्र लंबा चलता है जिसमें सरकार बजट पेश करने के साथ ही विभागवार अनुदान पर भी चर्चा कराती है.


विपक्षी पार्टियों का आरोप था कि सरकार सवालों से बचना चाहती है. विधानमंडल का लंबा सत्र हुआ तो विधायकों के सवालों का जवाब देना सरकार के लिए मुश्किल होगा. राज्य में अपराध से लेकर भ्रष्टाचार की जो हालत है उसमें सरकार फंसी हुई है. सदन में सरकार को उन सवालों का जवाब देना पड़ेगा, जो सरकार नहीं चाहती. लिहाजा सत्र को दो-तीन दिनों में निपटाने की योजना बनायी गयी है.


हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से किसी नेता ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी. आज यानि मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में सरकार सदन का सत्र बुलाने का प्रस्ताव लेकर आयी और उसे मंजूरी दे दी. इसमें पारंपरिक तौर पर लंबा बजट सत्र चलाने का फैसला लिया गया है.