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1st Bihar Published by: Updated Wed, 07 Sep 2022 07:44:30 AM IST
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PATNA : जनता दल यूनाइटेड में नीतीश कुमार की कृपा कब किस नेता पर बरसने लगे और कब कृपा आनी बंद हो जाए, यह कोई नहीं बता सकता। पार्टी के अंदर पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह का जो हाल हुआ उसके बाद अब नीतीश कुमार को छोड़कर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता किसी का गुणगान करने से भी डरने लगे हैं। आरसीपी सिंह जैसा हाल किसी दूसरे नेता का कब हो जाए यह कोई नहीं जानता, यही वजह है कि पार्टी के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेता से भी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता कन्नी काट रहे हैं। सबके मन में यह आशंका दिख रही है कि कहीं कुशवाहा या अन्य नेताओं का गुणगान करने से नीतीश कुमार नाराज ना हो जाऐं। पार्टी के अंदर हालात ऐसे हो गए हैं कि संसदीय बोर्ड अध्यक्ष के कार्यक्रम में नेताओं और कार्यकर्ताओं को शामिल होने के लिए मुख्यालय स्तर से निर्देश जारी करना पड़ा है।
दरअसल यह पूरा मामला उपेंद्र कुशवाहा के दौरे और उसमें जेडीयू के नेताओं कार्यकर्ताओं की उपस्थिति से जुड़ा हुआ है। उपेंद्र कुशवाहा बिहार भर के दौरे पर निकलने की तैयारी में हैं। लेकिन कुशवाहा पिछले दिनों जहां कहीं भी गए शायद उनके कार्यक्रम में जेडीयू के नेताओं और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी कम रही। कुशवाहा के कार्यक्रम में ज्यादातर वही चेहरे नजर आए जो उनकी पुरानी पार्टी से संबंध रखते हैं या फिर कुशवाहा के साथ व्यक्तिगत तौर पर जुड़े हुए हैं। इस स्थिति को देखते हुए प्रदेश मुख्यालय में पार्टी के पदाधिकारियों के साथ–साथ अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को दिशा निर्देश जारी किया है। इस दिशा निर्देश में कहा गया है कि उपेंद्र कुशवाहा का कार्यक्रम या दौरा जिस जिले में हो वहां सभी लोग मौजूद रहें। तमाम इकाइयों और उसके नेताओं को सक्रिय सहभागिता निभाने के लिए कहा गया है। प्रदेश उपाध्यक्ष नवीन आर्या की तरफ से इस बाबत एक लेटर भी जारी किया गया है।
आपको याद दिला दें कि साल 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार ने जेडीयू के अंदर लव–कुश फैक्टर मजबूत करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा को अपने साथ लाने का फैसला किया था। उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश ने अपने बाद उत्तराधिकारी की जिम्मेदारी देने तक का भरोसा दिया और इसका नतीजा रहा कि कुशवाहा में अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जेडीयू में विलय कर दिया लेकिन बिहार में राजनीतिक समीकरण बदलने और सत्ता परिवर्तन के बाद कुशवाहा कहीं ना कहीं हाशिए पर जाने का डर दिखने लगा। ऐसे में उन्होंने अपने आधार वोट को मजबूत रखने के लिए बिहार दौरे का कार्यक्रम बनाया है लेकिन बड़ी समस्या यह है कि उनके दौरे के बीच पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी बहुत ज्यादा नहीं दिखती। ऐसे में नीतीश कुमार को भी लव–कुश फैक्टर के कमजोर होने का डर सता रहा है। शायद यही वजह है कि मुख्यालय स्तर से कुशवाहा के कार्यक्रम में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को शामिल होने के लिए लेटर जारी करवाना पड़ा। दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि नीतीश कुमार नहीं चाहते हो कि पार्टी के अंदर होने के बावजूद उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू कार्यकर्ताओं और नेताओं की गैरमौजूदगी के बीच अपने समर्थकों के साथ कोई नया सियासी कोण बनाएं।