तीसरी लहर में सबसे बड़ा संकट डॉक्टरों पर, आईएमए के सम्मेलन से हुई चूक

तीसरी लहर में सबसे बड़ा संकट डॉक्टरों पर, आईएमए के सम्मेलन से हुई चूक

PATNA : बिहार में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की चपेट में सबसे ज्यादा डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ आए हैं. संक्रमण की पहली खेप भी डॉक्टरों के अंदर ही देखने को मिली थी. पटना में पिछले दिनों आयोजित आईएमए के सम्मेलन को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है. आईएमए के सम्मेलन में हुई लापरवाही और चूक का नतीजा यह हुआ कि एकमुश्त तरीके से डॉक्टर संक्रमित हो गए डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के संक्रमण का यह सिलसिला बदस्तूर जारी है. पटना के आदेश के बाद अब पटना एम्स में भी कई डॉक्टर पॉजिटिव पाए गए हैं.


पटना के पीएमसीएच में मंगलवार को एक बार फिर से कोरोना के बड़े मामले देखने को मिले हैं एनएमसीएच में 3 दिनों से लगातार सीनियर जूनियर और मेडिकल स्टूडेंट पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. मंगलवार को यह 77 डॉक्टरों की जांच की गई, जिसमें 59 पॉजिटिव पाए गए. एनएमसीएच के प्राचार्य डॉक्टर एच एल महतो के मुताबिक मंगलवार को 77 डॉक्टरों की जांच में 59 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इनमें कुछ मेडिकल कॉलेज स्टूडेंट भी शामिल है. प्रशासन ने तत्काल सभी तरह के क्लास को सस्पेंड कर दिया है. और ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी है. एनएमसीएच कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों के लिए वरदान साबित हुआ था. यह सबसे ज्यादा मरीजों का इलाज होता रहा. लेकिन आज यह अस्पताल खुद संक्रमण की चपेट में है.


उधर पटना एम्स में कुल 11 डॉक्टर संक्रमित पाए गए हैं. यहां के फैकल्टी और 10 रेजिडेंसी डॉक्टरों को पॉजिटिव पाया गया है. तीन नर्सिंग स्टाफ भी संक्रमित पाए गए हैं. एम्स के नोडल अधिकारी डॉक्टर संजीव कुमार के मुताबिक एक डॉक्टर को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा है. बाकी सभी होम आइसोलेशन में है. मंगलवार को पटना एम्स में 5 कोरोना मरीज भर्ती कराए गए हैं अब तक के यहां कुल 15 मरीजों का इलाज चल रहा है. आईजीआईएमएस में 6 डॉक्टर और 12 मेडिकल स्टूडेंट संक्रमित पाए गए हैं. जबकि पटना के पीएमसीएच से स्थित आईजीआईसी के 22 डॉक्टर समेत 99 हेल्थ वर्कर पॉजिटिव पाए गए हैं.