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1st Bihar Published by: Updated Thu, 14 Oct 2021 11:18:33 AM IST
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PATNA : लालू परिवार में मचा घमासान और गहराता ही जा रहा है. तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच की दूरियां साफ़ तौर पर बढ़ती नज़र आ रही हैं. राजद के कई सीनियर नेताओं और खुद मां राबड़ी देवी ने दोनों भाइयों के बीच की दूसरी को कम करने की कोशिश की लेकिन उनकी भी कोशिश बेकार नज़र आई. ऐसे में अब सबको राजद सुप्रीमो लालू यादव के पटना आने का इंतजार है. कहा जा रहा है कि अब जो स्थिति हो गई है उसका समाधान अब केवल लालू ही निकाल सकते हैं.
बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती के दिल्ली स्थित आवास पर रह रहे लालू यादव 20 अक्टूबर को पटना आ रहे हैं. लालू के सामने पार्टी और परिवार की हिफाजत की बड़ी चुनौती है. जनता दल से अलग होकर करीब 24 वर्ष पहले 1997 में बनाई गई आरजेडी को बचाने के लिए योग्य उत्तराधिकारी की तलाश में उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव के पहले छोटे पुत्र तेजस्वी यादव को आगे किया. लालू का यह फैसला उनके बड़े पुत्र तेज प्रताप को रास नहीं आ रहा है. शुरूआत के चार-पांच साल तो वह चुप रहे, लेकिन अब खुद को दूसरा लालू बताकर विरासत पर कब्जे की कोशिश में हैं.
परिवार की एकता के लिए तेज प्रताप को पटरी पर लाना लालू की दूसरी प्राथमिकता है. लालू को अहसास था कि 11 अक्टूबर को जेपी जयंती के मौके पर जनशक्ति मार्च के दौरान तेज प्रताप पार्टी और परिवार के खिलाफ उल-जलूल बोल सकते हैं. इसी आशंका को भांपकर उन्होंने आनन-फानन में जनशक्ति मार्च से महज कुछ घंटे पहले राबड़ी देवी को पटना भेजा, ताकि वे समझा-बुझाकर बेटे को रास्ते पर ला सकें.
राबड़ी पटना हवाई अड्डे से सीधे तेज प्रताप के सरकारी आवास पर पहुंची, लेकिन उनके आने की भनक तेज प्रताप को पहले ही लग गई थी. इसलिए उन्होंने पहले ही घर छोड़ दिया था. ऐसे में मां-बेटे की मुलाकात नहीं हो सकी और लालू का यह प्लान फेल कर गया. तेज प्रताप यादव के बात-व्यवहार को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि वे केवल अपने पिता की बात ही मान सकते हैं. ऐसे में अंतिम उम्मीद लालू यादव हीं हैं.