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सुशील मोदी ने रामविलास की बजाय अमित शाह को मिलाया फोन, गरीबों के लिए और तीन महीने का अनाज मांगा

1st Bihar Published by: Updated Tue, 23 Jun 2020 06:13:15 PM IST

सुशील मोदी ने रामविलास की बजाय अमित शाह को मिलाया फोन, गरीबों के लिए और तीन महीने का अनाज मांगा

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PATNA : कोरोना काल में बिहार के गरीबों को केंद्र सरकार की योजना के तहत मुफ्त अनाज दिया जा रहा है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न का कोटा 3 महीने और बढ़ाने की मांग बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने की है. सुशील मोदी ने यह मांग केंद्रीय खाद्य उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान की बजाय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से की है. अमित शाह से फोन पर हुई बातचीत के दौरान सुशील मोदी ने आग्रह किया है कि अप्रैल और जून की तरह अगले 3 महीने यानी जुलाई से लेकर सितंबर तक का अनाज गरीबों के लिए मुफ्त दिया जाये.


बिहार में गरीबों को अनाज मुहैया कराने का ऐलान केंद्र सरकार ने पहले ही किया था. जून महीने तक के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों को खाद्यान्न दिया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने खुद अपने विभाग की तरफ से इस मामले में ठोस पहल की है लेकिन अब सुशील मोदी ने इस मामले में पासवान की बजाय अमित शाह से गुहार लगाई है.


मोदी ने कहा कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लाॅकडाउन के दौरान बिहार के 8.71 करोड़ गरीबों को 3 महीने तक प्रति महीने 5-5 किलो यानी 15 किलो चावल 28 रु. बाजार मूल्य की दर से 5057.30 करोड़ का तथा 1.68 करोड़ परिवारों को 120 रु. किलो की दर से 610 करोड़ रु.की प्रति महीने 1-1 किलो यानी 3 किलो अरहर दाल मुफ्त में दिया गया.


इसके अलावा अन्य प्रदेशों से आए श्रमिकों और गैर राशनकार्डधारी 86 लाख 40 हजार लोगों को मई और जून में प्रति महीने 5-5 किलो यानी 10 किलो चावल और 2 किलो चना कुल 337.15 करोड़ रु. का मुफ्त में दिया गया. लाॅकडाउन के दौरान कुल 6024.45 करोड़ के खाद्यान्न वितरण से गरीबों को बड़ी राहत मिली है.


बिहार में एक भी ऐसा परिवार नहीं है जो मुफ्त खाद्यान्न से वंचित रहा. इसी का नतीजा रहा कि दो महीने के लाॅकडाउन के दौरान लोगों के घरों में रहने और तमाम तरह के काम-धंघे के बंद रहने के बावजूद कहीं किसी को भूखे रहने की नौबत नहीं आई. अगर इसी प्रकार और अगले तीन महीने के लिए भी मुफ्त खाद्यान्न वितरण किया गया तो गरीबों को न केवल बड़ी राहत मिलेगी बल्कि लाॅकडाउन के प्रभाव और बाढ़ और सूखे की असामन्य स्थितियों से भी मुकाबला करने में वे सक्षम होंगे.