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MUZAFFARPUR : बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागु है। राज्य में शराब पीना या उससे जुड़ा किसी भी तरह कारोबार करना गैर क़ानूनी माना गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार के तरफ से इस कानून पर नियंत्रण को लेकर अलग से पुलिस टीम भुई बनायीं गयी है। लेकिन, इसके बाद भी इस कानून का हाल क्या है वो किसी से भी छुपा हुआ नहीं है। इसी कड़ी में अब एक बड़ा खुलासा मुजफ्फरपुर में उत्पाद विभाग से जुड़ा हुआ है।
दरअसल, पूर्ण शराबबंदी के लिए सख्त शराबबंदी कानून लागू है। इसके रोकथाम को लेकर पुलिस टीम को बड़ी जिम्मेदारी दी गयी है। लेकिन,अब पुलिस वाले ही इस कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। शराब में जब्त लग्जरी गाड़ियां नीलामी से छिपाकर थाने की पुलिस ऐश कर रही है। सरकारी से लेकर गैरसरकारी काम इन गाड़ियों से होते हैं। इस राज का खुलासा मुजफ्फरपुर में उत्पाद विभाग ने किया है। उत्पाद अधीक्षक ने एसएसपी को पत्र भेजकर ऐसे पदाधिकारियों को चिन्हित कर कार्रवाई की मांग की है।
बताया जा रहा है कि, यह ममाला उस समय सुर्ख़ियों में आया जब शराबबंदी कानून के तहत जब्त की गयी एक गाड़ी को छुड़ाने के लिए वाहन मालिक से आवेदन दिया। वाहन मालिक ने 31 दिसंबर 2021 से पहले जब्त हुई गाड़ियों को मुक्त कराने के लिएउत्पाद विभाग में आवेदन गया। इसके बाद जब इन गाड़ियों की तलाश की गई तो पता चला कि गाड़ी का इस्तेमाल पुलिस वाले कर रहे हैं। उसके बाद उत्पाद विभाग की ओर से जांच कराई गई तो मामला उजागर हुआ।
वहीं, इसके बाद उत्पाद अधीक्षक संजय कुमार राय ने एसएसपी राकेश कुमार को पत्र भेजकर मामले की जानकारी दी और कार्रवाई का आग्रह किया है। उत्पाद अधीक्षक के आग्रह पर एसएसपी ने सभी थानेदारों 24 घंटे के अंदर कोडिंग से वंचित सभी वाहनों का ब्योरा उपलब्ध कराएं, ताकि इससे उत्पाद विभाग के अपर मुख्य सचिव को अवगत कराया जा सके।
इधर, इस मामले को लेकर 31 दिसंबर 2021 से पूर्व शराब में जब्त सभी गाड़ियों की कोडिंग कराने के लिए सभी थानेदारों को निर्देश दिया गया था। कई थानों में कोडिंग कराने में शिथिलता बरती गई, जिसके कारण कई लग्जरी गाड़ियां कोडिंग में छूट गईं। इससे उन गाड़ियों की नीलामी नहीं हुई। अब गाड़ी को जुर्माने पर मुक्त कराने के लिए आ रहे वाहन मालिक आवेदन दे रहे हैं।