DESK : जल्द ही राज्य भर के शहरी इलाकों में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र को बंद कर दिया जाएगा. इस बारे में समाज कल्याण विभाग ने रिपोर्ट सभी सीडीपीओ से मांगी है ताकि केंद्र बंद होने से पहले वहां के बच्चों को पास के केंद्र में शिफ्ट किया जा सके,
बता दें कि बाढ़ प्रभावित जिलों में भी आंगनबाड़ी केंद्रों की विस्तृत जानकारी ली जा रही है, ताकि जो सेंटर बाढ़ के दौरान बंद करने की नौबत आ जाती है उन्हें ऊंची जगह पर ले जाया जा सके. बाढ़ के समय में भी बच्चों को पोषाहार मिलते रहे. बता दें कि बिहार में 1 लाख 8 हजार आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है. जिसमें से कई केंद्र शहरी इलाकों में भी हैं, जहां बच्चे तो कम आते हैं लेकिन कागजों पर अधिक बच्चे दिखाए जाते हैं. यह बात निरीक्षण के दौरान सामने आई है. इतना ही नहीं शहरी इलाकों के अधिकांश केंद्र में सहायिका और सेविका बस अपना समय काटती है. कई जगहों पर सेंटर भी घर में हि बना लिया गया है ताकि कोई निरीक्षण के लिए आए तो अपने रूम से सेंटर में बैठ जाए.
विभाग ने इस बारे में सभी सीडीपीओ से रिपोर्ट मांगा है.
1. केंद्र में कितने बच्चे हैं?
2. आस-पास में कितने केंद्र हैं और स्लम बस्तियों की संख्या कितनी है?
3. केंद्र के आसपास गंदगी रहती है या सफाई?
4. सप्ताह में केंद्र कितने दिन खुलता है और बच्चों को खाना कैसे दिया जाता है?