ARWAL : स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने और पोषण की स्थिति को सुधारने के मकसद से मद्याह्न भोजन योजना की शुरुआत की गयी। मिड डे मिल योजना का उद्धेश्य विभिन्न वर्गों और जातियों के बच्चों द्वारा एक साथ इकट्ठा खाना खाने से समानता की भावना को विकसित करने एवं जाति के भेदभाव को दूर करना है। लेकिन अरवल के दो सरकारी स्कूलों में इस मिड डे योजना में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। आरोप यहां के प्रिसिंपल पर लगा है। अब इसकी जांच की जा रही है।
स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के उद्देश्य से मध्याह्न भोजन योजना शुरू की गयी थी लेकिन सरकार की इस योजना को यहां के शिक्षक ही सुचारू रूप से संचालित नहीं होने दे रहे हैं। अरवल जिले के दो सरकारी स्कूलों में इस योजना में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब कार्यक्रम पदाधिकारी ने स्कूलों का औचक निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान बिहार राज्य मध्याह्न भोजन योजना समिति के निदेशक के आलोक में मध्याह्न भोजन योजना में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बिन्दु कुमारी मध्याह्न भोजन योजना समिति एवं मिथिलेश कुमार जिला साधन सेवी मध्याह्न भोजन योजना के द्वारा जब मामले की जांच की गई तब गड़बड़ी का खुलासा हुआ।
उन्होंने बताया कि मध्य विद्यालय गोनपुरा प्रखंड वंशी के प्रभारी प्रधानाध्यापक हृदयानंद सिंह से 2030 रुपये और प्रभारी प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय रजपुरा रामाकांत कुमार से 577 रुपये की राशि वसूली जाएगी। इससे संबंधित पत्र जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मध्याह्न भोजन योजना समिति अरवल ने पत्र जारी किया है।
प्राथमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण करने पहुंचे कार्यक्रम पदाधिकारी को वहां मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में बच्चे को विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए भोजन कम मिलता है और कभी-कभी तो भोजन बनता ही नहीं है। ग्रामीणों की शिकायत पर कार्यक्रम पदाधिकारी ने कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है।
मामला उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग दोनों प्रिंसिपल से लिखित में जवाब मांगने की तैयारी कर रहा है। दोनों प्रधानाध्यापक ने औचक निरीक्षण में विद्यालय में उपस्थित बच्चों से ज्यादा बच्चों को रजिस्टर में दर्ज कर रुपये का भी गबन करने का आरोप लगा है|