1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 04 Jan 2024 01:07:22 PM IST
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PATNA : बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। सूबे में कभी योग्य टीचर की कमी बताई जाती है तो कभी संसाधन में खामी बता लोग अपना पल्ला खींचना शुरू कर दते हैं। हालांकि, इन दिनों बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में काफी हद तक काम हो रहा है। वृहत पैमाने पर नए शिक्षकों की बहाली हो रही है और साथ ही लापरवाही पर एक्शन भी लिए जा रहे हैं। इन सबके बीच जो शख्स सबसे अधिक चर्चा है वो है शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक। इनको जब से शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मिली है तबसे ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं। ऐसे में अब इनसे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बड़ी मांग कर दी है।
जीतन राम मांझी ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से मांग करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- वैसे तो केके पाठक साहब शिक्षा के दिशा में अद्वितीय काम कर रहें हैं पर यदि वह एक काम और कर दें तो शिक्षा के क्षेत्र में एतिहासिक सुधार हो जाएगा। मुख्य सचिव का बच्चा हो या चपरासी का, विधायक का बच्चा हो या मंत्री का, सरकार से वेतन उठाने वालों के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ेंगे।
जानकारी हो कि, जीतन राम मांझी बखूबी जानते हैं कि अगर ऐसा हुआ तो वाकई में बिहार की शिक्षा व्यवस्था की कायापलट होते देर नहीं लगेगी। लेकिन उन्हें ये भी पता है कि वो जो मांग कर रहे हैं, वो शायद ही संभव हो पाए। क्योंकि 'अपने घर' से शुरुआत करने की परंपरा हिंदी पट्टी के राज्यों में बड़ी कम ही पाई जाती है।
आपको बताते चलें कि, करीब साल भर पहले यही मांग बिहार के सरकारी अस्पतालों को लेकर की गई थी कि सरकारी कर्मचारी और अफसरों अपना इलाज सरकारी अस्पतालों में ही कराएं। ये मांग उठी और हवा में उड़ गई। एक सच्चाई ये भी है कि बिहार के ज्यादातर अफसरों, मंत्रियों और विधायकों के बच्चे पटना के नामी गिरामी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं।