PATNA : क्या नीतीश सरकार द्वारा जातीय गणना का रिपोर्ट पेश किया है वो नहीं है क्या इसमें जो आंकड़े पेश किए गए हैं आंकड़ों को सही ढंग से नहीं शामिल किया गया है। यह बातें हम नहीं खुद सरकार के मंत्री इशारों - इशारों में बयां कर रहे हैं।
दरअसल, बिहार सरकार के मद्य निषेध विभाग के मंत्री सुनील कुमार से यह सवाल किया गया कि सरकार के तरफ से गणना को लेकर जो आंकड़े पेश किए गए है उसमें कई तरह सवाल उठ रहे हैं। जिसके बाद जवाब देते हुए कहा कि - इस गणना में राज्य में जितनी जातियां हैं उनकी संख्या बताई गई। उनकी शैक्षणिक योग्यता के बारे में और हरभाग और जाति की आर्थिक स्थिति की जानकारी ली गई।
इसमें कहीं पर कोई त्रुटि हो तो फिर उसके बारे में लोग अपना पिटीशन दे सकते हैं। जिनकी जो शिकायतें हैं उसे शिकायतों को हम दूर करने का काम करेंगे। लेकिन कमोबेश यह जो हुआ है काफी सोच समझकर हुआ है।इसमें काफी लोग हुए थे।यह काफी सोच समझकर हुआ है। हर चीज पर लगा सकते हैं लेकिन किसी तरह का कोई बात है तो प्रमाण के साथ आइए उसको देखा जाएगा और फिर निपटारा किया जाएगा।
मंत्री सुनील कुमार सिंह ने कहा कि जल्दीबाजी में यह नहीं किया गया है इसमें समय लगा है। जिन चीजों के बारे में पूछा गया है काफी सोच समझकर पूछा गया है सभी लोगों की सहमति से सवाल किए गए हैं और जवाब लिखे गए हैं। इसके बाबजूद अगर कही कोई गलती है तो सबूत के साथ आए, हम उनकी बातों को सुनेंगे और उसका निपटरा करेंगे। यूं ही आरोप लगा देना उचित नहीं।
इधर, अब मंत्री के इस बयान के बाद यह सवाल उठाना शुरू हो गया है कि जब मंत्री को ही लग रहा है कि इस रिपोर्ट में कुछ गलती हो सकती है तो फिर उन गलतियों को दूर करके यह रिपोर्ट क्यों नहीं बनाई गयी। आखिर इतनी जल्दबाजी में इसे तैयार करने की ऐसी कौन सी जरूरत सरकार को महसूस हुई। जबकि यह मामला जब कोर्ट में था गणना का डाटा लगभग तैयार कर लिया गया था तो उसके बाद इसे वापस से जांचने का पूरा समय था। लेकिन, इसके बाद यह समस्या कैसी आई। भले ही सरकार पूरी तरह से नहीं मान रही हो लेकिन कहीं न कहीं उन्हें भी इसमें गलती तो लग रही है तभी तो सुधार करने की बात कही जा रही है।