DESK: पंजाब के रहने वाले 19 वर्षीय अमृतपाल सिंह पिछले साल ही अग्निवीर में बहाल हुए थे। 10 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के पूंछ में ड्यूटी के दौरान उनकी मौत हो गयी थी। अमृतपाल के शहीद होने की खबर मिलते ही पंजाब में शोक की लहर दौड़ गई। पार्थिव शरीर को प्राइवेट एम्बुलेंस से उनके घर लाया गया लेकिन इस दौरान सेना के जवानों ने उन्हें सलामी नहीं दी।
बिना सलामी दिये ही वापस चली गई। जब सेना के जवानों से पूछा गया कि सलामी क्यों नहीं दी गयी तो उन्होंने सरकारी की नीति का हवाला दिया। सेना ने अपने बयान में कहा कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने खुद को गोली मारी थी इसलिए सेना के नियमों के मुताबिक गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया। वही अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं दिये जाने को लेकर बिहार के पूर्व गवर्नर सत्यपाल मल्लिक ने केंद्र सरकार पर कई सवाल उठाए। साथ ही पंजाब कांग्रेस और यूपी में आरएलडी ने इसे मुद्दा बना लिया है।
बिहार के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मल्लिक ने एक्स पर लिखा कि "आज शहीद #अग्निवीर #अमृतपाल_सिंह का #पार्थिव_शरीर उनके गांव #कोटली_कलां आया, जिसे 2 फ़ौजी भाई प्राइवेट एंबुलेन्स से छोड़कर गए! जब ग्रामीणों ने पूछा तो उन्होंने बताया कि #केंद्र_सरकार की नई नीति के तहत अग्निवीर को #शहीद_का_दर्जा नहीं दिया गया है, इसलिए सलामी नहीं दी जाएंगी!" "फिर SSP साहब से गांव वालो ने बात कर #सलामी #पुलिस_वालों से दिलवाई। ये घटना साबित करती है कि अग्निवीर इसलिए बनाएं है ताकि शहीद का दर्जा ना दिया जाएं ओर #फौजख़त्म हो जाए। केंद्र सरकार को शर्म आनी चाहिए कि वो शहीद का दर्जा नहीं दे रहे- सत्यपाल मलिक (पूर्व गवर्नर)