रंग लाया नमामि गंगे का प्रयास, नित्यानंद राय बोले ... समाज और सरकार दोनों मिलकर करें गंगा संरक्षित करने का काम

रंग लाया नमामि गंगे का प्रयास, नित्यानंद राय बोले ... समाज और सरकार दोनों मिलकर करें गंगा संरक्षित करने का काम

BEGUSARAI : गंगा ग्लोबल ज्ञान परिसर के बीएड काॅलेज में आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन के अंतिम दिन समापन सत्र में गंगा समग्र की त्रैमासिक पत्रिका के प्रवेशांक का विमोचन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, राज्यसभा सांसद प्रो राकेश कुमार सिन्हा, आरएसएस के बिहार -झारखंड के क्षेत्र कार्यवाह डॉ मोहन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र प्रसाद सिंह, महासचिव डॉ आशीष गौतम, संगठन मंत्री रामाशीष जी ने संयुक्त रूप से किया।


इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह मोहन सिंह ने कहा कि, गंगा समग्र के कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे यहां से जाकर नदी, कुआं व तालाब को दोषमुक्त करने के अभियान में जुट जाएं। वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने कार्यकर्ताओं से कहा कि भ्रम फैलाने वालों से दूर रहें। सिर्फ अपने कार्यों और लक्ष्य पर दृष्टि लगाएं।


इस अवसर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सरकार नमामि गंगे के माध्यम से जल संरक्षण के काम में जुटी हुई है। गंगा किनारे अब तक 98 एसटीपी लगाए जा चुके हैं। 48 पर काम जारी है। चार दर्जन प्रोजेक्ट टेंडर की प्रक्रिया के अधीन है। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे का प्रयास रंग लाया है। जिसका परिणाम है कि आज गंगा में डाल्फिलन, कछुआ, आदि विलुप्त जीव दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि गंगा जल सिर्फ जीवन का स्रोत नहीं है। यह आर्थिक आधार कों भी मजबूती प्रदान करता है। हिन्दुओं के तो 16 संस्कार गंगा जल से होता है। 


उन्होंने कहा कि गंगा को संरक्षित किए बगैर सनातन धर्म की रक्षा नहीं हो सकती। लेकिन कांग्रेस, सपा, राजद आदि पार्टियां अपने राजनीतिक हित के लिए बार बार सनातन धर्म पर हमला करने से नहीं चूकती है। इसे भी ध्यान में रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गंगा और उसे संरक्षित करने वाली नदियों के संरक्षण के लिए गंगा समग्र सराहनीय कार्य कर रही है। सरकार व समाज दोनों मिलकर जब कार्य करेंगे तभी सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा जागरुकता अभियान में सरकार से बड़ी भूमिका संगठन व संस्था की होती है।


इस मौके पर राज्यसभा सांसद प्रो राकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि गंगा को मानव जीवन की तरह कानूनी अधिकार मिले तो सारी समस्याएं दूर हो जाएगी। गंगा हमारी सांस्कृतिक विरासत है, जो पूरे देश को एकसूत्र में पिरोती है। उन्होंने कहा कि नाइजीरिया ओसन नदी को अपने अस्मिता से जोड़ ली, तो ब्रिटेन उस पर कब्जा नहीं कर पायी। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी आज अस्तित्व में नहीं है। वह दिन दूर नहीं जब सरस्वती नदी पुनः जीवित दिखाई देगी। सरकार तो इसके लिए प्रयास कर रही है लेकिन सामाजिक भागेदारी भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारी सांस्कृति तो नदियों के प्रांत: स्मरण की रही है। उन्होंने श्लोक के माध्यम से गंगा, गोदाबरी, सिंधु, काबेरी, नर्मदा, नारायणी, सरस्वती आदि का उल्लेख किया। लेकिन मीरजाफर व जयचंद हमारी सनातन धर्म पद्धति पर हमला करने से नहीं चूकती है। उन्होंने कहा कि एक बात ध्यान रखने की है कि गंगा भारत का है और भारत गंगा का।


इससे पहले गंगा समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष जी ने कहा कि जीवन दायिनी मां गंगा के जल की एसटीपी के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। जहां एसटीपी लगाए गए हैं वहां ठीक से काम नहीं कर रहा है। हमको एसटीपी पर भी नजर रखनी है। गंगा जल को पीने के लायक बनाने तक अभियान चलाए रखना होगा। उन्होंने कहा कि गंगा समग्र गंगा को मानव जीवन की तरह कानूनी अधिकार के लिए लड़ाई लड़ने के लिए प्रस्ताव पारित कर चुकी है। हम इसके लिए संघर्षरत रहेंगे।


समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र प्रसाद सिंह ने की, संचालन राष्ट्रीय महामंत्री डॉ आशीष गौतम व धन्यवाद ज्ञापन सम्मेलन के सर्वव्यापक प्रमुख सह गंगा डेयरी के निदेशक अखिलेश कुमार ने किया। इससे पहले के सत्रों में राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष जी ने संगठन पर चर्चा करते हुए बताया कि यह काम त्रिआयामी है। संगठन, रचनात्मक कार्य और जनजागरण, इन सभी आयामों पर समान रूप से कार्य करना होता है। तभी कार्य में सफलता सम्भव होती है। उन्होंने आदर्श कार्यकर्ता के रूप में हनुमान जी के गुणों की चर्चा की।

 

राष्ट्रीय महामंत्री आशीष जी ने कहा कि संगठन में नए कार्यकर्ता को जोडने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि पुराने की सक्रियता कम न हो। गंगा समग्र के विभिन्न आयामों के कार्यों की समीक्षा और चर्चा की गई। राष्ट्रीय मंत्री रामाशंकर सिन्हा ने शिक्षण संस्थान आयाम के बारे में विस्तार से चर्चा की और बताया कि कैसे शिक्षण संस्थानों को गंगा कार्य से जोड़ा जाए। संचार आयाम के राष्ट्रीय सह प्रमुख अम्बरीष जी ने गंगा के प्रति समाज को जोड़ने के लिये संचार माध्यमों के महत्व पर चर्चा की। 


अधिवेशन में राष्ट्रीय स्तर पर नवीन दायित्व की घोषणा की गई। इसमें गिरीश चतुर्वेदी (गोरखपुर) को राष्ट्रीय सह सम्पर्क प्रमुख, राज नारायण जी (बलिया) को राष्ट्रीय जैविक कृषि प्रमुख, राजेश जी (कानपुर) को राष्ट्रीय सहायक नदी सह प्रमुख, विशम्भर जी को अवध प्रांत का संरक्षक, तीरथराज जी को अवध प्रांत का संयोजक, कलानंद ठाकुर को झारखण्ड प्रांत का सह संयोजक, लाल जी भाई को अवध का संगठन मंत्री, सूर्य प्रकाश जी को कानपुर, दिनेश जी को बृज प्रांत और निरंजन जी को उत्तराखण्ड प्रांत का संगठन मंत्री बनाया गया।