PATNA : बिहार के राज्यपाल दलित समाज से आते हैं इसलिए सरकार उनके प्रति नजरिया ठीक नहीं रखती है। राज्य सरकार जानबूझकर सब कुछ कर रही है। बिहार के इतिहास में आज तक राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच रिश्ता खराब नहीं रहा है। उम्मीद करते हैं कि आगे भी इसी तरह का रिश्ता कायम रहे। यह बातें बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कही है।
दरअसल, सम्राट चौधरी से जब यह सवाल किया गया कि बिहार में इन दिनों सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद देखने को मिल रहा है तो उन्होंने कहा कि - बिहार के राज्यपाल दलित समाज से आते हैं यही वजह है कि सरकार उनके साथ बेहतर नज़रिया नहीं रखती है। हालांकि यह उचित नहीं है। सरकार में मिलजुल कर ही विकास किया जा सकता है, टकराव से नहीं, मगर यह सरकार सबसे लड़ना चाहती है।
मालूम हो कि बिहार में इन दोनों राज भवन और सरकार के बीच कई तरह की बातों को लेकर विवाद देखने को मिल रहा है जहां शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव द्वारा विसी का वेतन रोक दिया गया तो वहीं राज्य भवन की तरफ से इस आदेश को रद्द कर दिया गया जिसके बाद अब बिहार सरकार के तरफ से यह अधिसूचना जारी की गई है कि खुद अपने जरिए वीसी नियुक्ति की बातें कहीं गई है। हालांकि, इस बढ़ते विवाद के बीच बीते शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजभवन पहुंचे थे।
आपको बताते चलें कि, बिहार के इतिहास में पहली दफे बिहार सरकार ने विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए खुद आवेदन मांगा है। बड़ी बात ये है कि राजभवन ने पहले ही कुलपतियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाल रखा है। लेकिन बिहार सरकार ने राज्यपाल को किनारे लगा कर खुद नियुक्ति का विज्ञापन निकाल दिया। बता दें कि राज्यपाल ही बिहार के विश्वविद्यालयों के चांसलर यानि कुलाधिपति होते हैं। कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल ही करते हैं।