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1st Bihar Published by: Updated Fri, 22 Oct 2021 10:15:57 AM IST
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DESK : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ऐसे वक्त में राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं, जब देश में कोरोना वैक्सीनेशन एक सौ करोड़ का लक्ष्य हासिल कर चुका है. पीएम ने संबोधन की शुरुआत ही इससे की. प्रधानमंत्री ने कहा कि कल भारत ने 100 करोड़ वैक्सीन डोज का कठिन लेकिन असाधरण लक्ष्य प्राप्त किया है. इसके पीछे 130 करोड़ देसवासियों की शक्ति लगी है. यह हर देशवासी की सफलता है. यह केवल एक आंकड़ा नहीं है, यह देश के सामर्थ्य का प्रतिबिंब है. यह उस नए भारत की तस्वीर है जो कठिन लक्ष्य हासिल करना चाहता है. जो अपने संकल्प की सिद्धि के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करता है.
पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के दूसरे बड़े देशों के लिए वैक्सीन पर रिसर्च करना, वैक्सीन खोजना, इसमें दशकों से उनकी एक्सपर्टाइज थी. भारत, अधिकतर इन देशों की बनाई वैक्सीन्स पर ही निर्भर रहता था. लेकिन आज भारत के इस प्रयास की दुनियाभर में सराहना हो रही है, लेकिन इस विश्लेषण में एक बात छूट जाती है कि दुनिया के लिए वैक्सीन खोजना और दुनिया की मदद करना.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज कई लोग भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना दुनिया के दूसरे देशों से कर रहे हैं. भारत ने जिस तेजी से 100 करोड़ का, 1 बिलियन का आंकड़ा पार किया, उसकी सराहना भी हो रही है. लेकिन, इस विश्लेषण में एक बात अक्सर छूट जाती है कि हमने ये शुरुआत कहाँ से की है? भारत के लोगों को वैक्सीन मिलेगी भी या नहीं? क्या भारत इतने लोगों को टीका लगा पाएगा कि महामारी को फैलने से रोक सके? भांति-भांति के सवाल थे, लेकिन आज ये 100 करोड़ वैक्सीन डोज, हर सवाल का जवाब दे रही है. जब 100 साल की सबसे बड़ी महामारी आई, तो भारत पर सवाल उठने लगे. क्या भारत इस वैश्विक महामारी से लड़ पाएगा? भारत दूसरे देशों से इतनी वैक्सीन खरीदने का पैसा कहां से लाएगा? भारत को वैक्सीन कब मिलेगी?
पीएम मोदी ने कहा कि एक्सपर्ट्स और देश-विदेश की अनेक एजेंसियां भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बहुत सकारात्मक हैं. आज भारतीय कंपनियों में ना सिर्फ रिकॉर्ड इन्वेस्टमेंट आ रहा है बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी बन रहे हैं. Start-ups में रिकॉर्ड इन्वेस्टमेंट के साथ ही रिकॉर्ड स्टार्ट अप्स बन रहे है. जैसे स्वच्छ भारत अभियान, एक जनआंदोलन है, वैसे ही भारत में बनी चीज खरीदना, भारतीयों द्वारा बनाई चीज खरीदना, वोकल फॉर लोकल होना, ये हमें व्यवहार में लाना ही होगा.