पटना : जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में ऐसा हुआ खेल, रातों रात पलट गया पासा

पटना : जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में ऐसा हुआ खेल, रातों रात पलट गया पासा

PATNA : पटना के जिला परिषद अध्यक्ष का चुनाव संपन्न हो चुका है. गुरुवार को हुए इस चुनाव में स्तुति गुप्ता ने जीत हासिल की और पूर्व में अध्यक्ष रह चुकी अंजू देवी को हार का सामना करना पड़ा. जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में बीते दिनों काफी रस्साकशी देखने को मिली. शुरुआती दौर में अंजू देवी काफी ताकतवर नजर आ रही थी, लेकिन रातों-रात पासा पलट गया और स्तुति गुप्ता ने जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी हासिल कर ली.


इस पूरे खेल के पीछे कई खिलाड़ी सियासी मैनेजमेंट में लगे रहे. वर्तमान में जिला परिषद अध्यक्ष ज्योति सोनी इस बार अध्यक्ष पद की रेस में नहीं थी, लेकिन उसके बावजूद ज्योति सोनी के पति और बीजेपी पिछड़ा वर्ग के नेता जीवन कुमार ने जबरदस्त मैनेजमेंट किया. जीवन कुमार का समर्थन स्तुति गुप्ता के साथ था और उनकी जीत में जीवन कुमार की बड़ी भूमिका रही.


अंजू देवी और जीवन कुमार की पत्नी ज्योति सोनी के बीच पुरानी लड़ाई रही है और इसी का नतीजा हुआ की चुनाव हारने के बावजूद ज्योति सैनी के पति जीवन कुमार जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने करीबी लोगों का कब्जा बनाने के लिए मैनेजमेंट में जुटे रहे. जीवन कुमार हिंदू जागरण मंच के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. अध्यक्ष पद के लिए जब अंजू देवी और स्तुति गुप्ता आमने सामने आए तो अंजू देवी का पलड़ा भारी था लेकिन अपने संबंधों का इस्तेमाल करते हुए जीवन कुमार ने इस चुनाव को स्तुति गुप्ता के पक्ष में ला खड़ा किया.


यही नहीं ज्योति सोनी को हराने वाली आशा देवी भी सोनी के समर्थन में आ गयी. आशा देवी को ज्योति सोनी के विरोध का सीधा लाभ मिला और वो चुनाव जीत गयी. हालांकि उन्होंने अपना मत किसको दिया ये कहना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन सोनी को रिकॉर्ड मतों से हारने वाली आशा देवी ने भी इस जोर आजमाइश के खेल में एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह खेला और वो उपाध्यक्ष हो गयी.


आशा देवी के पति नरेंद्र कुमार जो सेवानिवृत फौजी हैं, चुपके-चुपके क्षेत्र के लोगों का मिजाज भांपते रहें. अध्यक्ष स्तुति गुप्ता हैं लेकिन कुर्सी के पीछे जीवन कुमार ही रहेंगे. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के सह मात के खेल में जिले के राजनीति के लोग भी लगे हुए थे. लेकिन इस खेल में जीवन कुमार माहिर खिलाड़ी निकले. सदस्य का चुनाव हार कर भी अध्यक्ष की जीत उनके लिए विटामिन का काम कर गयी.


स्तुति गुप्ता के हर फैसले के पीछे जीवन कुमार की राय जरूर रहेगी. राजनीति के उठा पटक के बाद आशा देवी ने भी उपाध्यक्ष पद को सुशोभित करने के पहले उनका मार्गदर्शन लिया. अब सब एक मंच पर हैं. कुल मिलाकर अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बिहटा का ही रहा. जिला समाहरणालय में इस बात की चर्चा जोरों पर रहीं.