समाजसेवी अजय सिंह ने मदद के बढ़ाए हाथ, पुलिस और आर्मी भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को सौंपा जंपिंग गद्दा Success Story: पुलिस ने मांगी रिश्वत तो लड़की ने शुरू कर दी UPSC की तैयारी, पहले IPS बनीं; फिर IAS बनकर पिता का सपना किया साकार JEE Main 2025: जेईई मेन में VVCP के छात्र-छात्राओं ने फिर लहराया परचम, जिले के टॉप थ्री पर कब्जा BIHAR NEWS: बिहार के गरीबों के लिए 2102 करोड़ रू की मंजूरी, जल्द ही खाते में जायेगी राशि, डिप्टी CM ने PM मोदी को कहा 'धन्यवाद' Chanakya Niti: दौलत, औरत और औलाद ...चाणक्य ने इन्हें क्यों बताया अनमोल? नीतीश कुमार को बड़ा झटका, जेडीयू के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ने दिया इस्तीफा Namami Gange Yojana: बिहार के इस जिले को केंद्र सरकार की सौगात, नमामी गंगे और अटल मिशन के तहत मिलेगा साढ़े पांच सौ करोड़ का विकास पैकेज जनेऊ नहीं उतारा तो परीक्षा से किया बाहर, FIR के बाद बढ़ी सियासत Parenting Tips: पढ़ाई के दौरान क्यों आती है बच्चों को नींद? ये काम करें; दूर हो जाएगी परेशानी Bihar politics: बहुमत है, पर नैतिकता नहीं', बीजेपी पर बरसे मनोज झा, वक्फ कानून की वापसी की उठाई मांग!
PATNA : भोजपुर जिले में बालू बंदोबस्ती का मामला, ब्रॉडस कंपनी को देना होगा 139 से अधिक रुपए ब्रॉडसन की नोटिस को कोर्ट ने अमान्य घोषित किया. आपको बता दें कि भोजपुर जिले में बालू बंदोबस्ती को लेकर सरकार ने ब्रॉडसन कंपनी को 1 मई से सरकार को किस नहीं दिया है.
ब्रॉडसन का कहना था कि बालू खनन का काम अप्रैल महीने में ही बंद हो गया फिर अक्टूबर तक की राशि और क्यों दें इसलिए वह कोर्ट में चले गए थे. जिस पर सुनवाई होते हुए जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने की पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. और बुधवार को उन्होंने सुनाया. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए सरकारी मांग को सही ठहराया. खनन विभाग ने बताया कि 2019 की नई नियमावली के अनुसार नई डाक में बालू खनन के लिए बीडर सफल तो हुए लेकिन पर्यावरण क्लीयरेंस नहीं मिलने से खनन में विलंब हो रहा था.
सरकार ने पुराने सेटली को एक्सटेंशन देकर खनन का काम जारी रखने के लिए कहा था. गत अप्रैल में पुराने सेटली ने खनन का काम करने से इनकार कर दिया. लेकिन विभाग ने कहा कि बंदोबस्ती अक्टूबर तक के लिए था. इसलिए उन्हें डिमांड नोटिस के अनुसार राशि देनी ही होगी. विभाग ने बताया कि उन्होंने कोर्ट से कहा था कि डिमांड नोटिस पूरी तरह नियम के अनुसार है. इसलिए याचिकाकर्ता किसी राहत का हकदार नहीं है.