क्या दिल की हसरत पूरी करने के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ेंगे नीतीश: पत्रकारों के सामने कह दी बड़ी बात

क्या दिल की हसरत पूरी करने के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ेंगे नीतीश: पत्रकारों के सामने कह दी बड़ी बात

PATNA: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या सीएम की कुर्सी छोड़ देंगे. ये सवाल आज फिर उठ खड़ा हुआ. दरअसल पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में नीतीश ने अपने दिल की अधूरी हसरत का जिक्र कर दिया. उसके बाद से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. 

नीतीश ने कह दी दिल की बात

दरअसल विधानमंडल सत्र के दौरान नीतीश कुमार अपने कक्ष में पत्रकारों से अनौपचारिक तौर पर गुफ्तगू करते हैं. बुधवार को भी नीतीश कुमार लंबे समय तक पत्रकारों से बात करते रहे. इसी दौरान उन्होंने अपनी अधूरी हसरत का जिक्र कर दिया. नीतीश बोले-हम विधायक रहे, लोकसभा सांसद रहे, केंद्र में राज्य मंत्री रहे, कैबिनेट मंत्री रहे और अब राज्य में मुख्यमंत्री हैं. हां, सिर्फ एक कसर बाकी रह गयी है. अब तक राज्यसभा के सदस्य नहीं बने हैं. 

नीतीश कुमार को जानने वाले जानते हैं कि वे बिना मकसद कोई बात नहीं कहते. उनका हर शब्द सोंच समझ कर ही जुबान से बाहर निकलता है. तो क्या नीतीश कुमार राज्यसभा जाकर सियासत का आखिरी सफर भी तय कर लेना चाहते हैं. सवाल इसलिए भी उठ खड़ा हुआ है क्योंकि इन दिनों ये चर्चा होती रहती है कि बीजेपी नीतीश कुमार को देश का उपराष्ट्रपति बनाना चाहती है. उप राष्ट्रपति ही राज्यसभा के सभापति होते हैं. हालांकि चर्चा तो ये भी हुई थी कि प्रशांत किशोर ने उन्हें विपक्षी पार्टियों की ओर से राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनने का ऑफर दिया था. लेकिन नीतीश ने ऐसी चर्चा को खारिज कर दिया था.


लेकिन अब वे राज्यसभा जाने की अधूरी हसरत को बता रहे हैं तो क्या उनके उपराष्ट्रपति बनने के चांस हैं. क्या नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी बीजेपी के हवाले कर उपराष्ट्रपति बन सकते हैं. वैसे भी बीजेपी से नीतीश कुमार इन दिनों कुछ ज्यादा ही प्रगाढता दिखा रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार से लेकर उनकी पार्टी के दूसरे नेताओं की बीजेपी के लिए तल्खी जगजाहिर थी. लेकिन इन दिनों जेडीयू नेताओं की जुबान खामोश है. योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए नीतीश के लखनऊ जाने से भी कई तरह की चर्चायें हुई. वहां प्रधानमंत्री को प्रणाम करते उनकी तस्वीर वायरल है. चर्चा ये भी हो रही है कि वे बोचहां विधानसभा सीट पर हो रहे उप चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार करने भी जा सकते हैं. 

उधर बिहार में सरकार में शामिल दलों में आपसी टकराव हर रोज सामने आ रहा है. बीजेपी के विधायक लगातार सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते रहे हैं. विधानसभा अध्यक्ष के साथ हुए मामले में नीतीश की खासी फजीहत हुई थी. वहीं, सत्ता में शामिल हम के नेता जीतन राम मांझी भी लगातार अपने बयानों से सरकार के सामने मुसीबत खड़ा करते रहे हैं. बीजेपी ने किसी तरह से मुकेश सहनी को निपटाया है. नीतीश जानते हैं कि उनकी सरकार 2025 तक चल जाये यही बड़ी बात होगी. उसके बाद वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी नहीं रहेंगे. तो क्या वे उप राष्ट्रपति जैसा कोई पद लेकर अपना सियासी सफर पूरा करेंगे. 


लोकसभा चुनाव नहीं लडेंगे

वैसे नीतीश कुमार ने साफ कर दिया कि वे लोकसभा चुनाव नहीं लडेंगे. दरअसल इन दिनों वे अपने पुराने लोकसभा क्षेत्र बाढ़ और नालंदा का दौरा कर रहे हैं. ऐसे में चर्चा हुई कि वे अपने पुराने क्षेत्र से फिर चुनाव लड़ सकते हैं. नीतीश कुमार ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा कोई सोंचता है तो गलत सोंचता है. अपने पुराने क्षेत्र का दौरा करने का प्लान उन्होंने काफी पहले से बना रखा था. दो साल पहले ही ये तय किया था. लेकिन कोरोना के कारण जा नहीं पाये थे. अब जाकर लोगों से मिल रहे हैं. नीतीश ने कहा कि बाढ़ लोकसभा क्षेत्र तो समाप्त ही हो गया. रही बात नालंदा की तो वहां उनकी पार्टी 1996 से लगातार जीत रही है. नीतीश बोले-हम लोगों ने ही 1996 में सबसे पहले जार्ज फर्नांडीस साहब को नालंदा से चुनाव लडवाया था. वहां मेरे चुनाव लड़ने की क्या जरूरत है.