PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव में आखिरी चरण के मतदान से ठीक पहले गुरूवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से दिए गए बयान के बाद विपक्ष लगातार उनके ऊपर हमलावर है. बीते दिन तेजस्वी ने सीएम को इस मुद्दे पर घेरा. लेकिन आज एक बार फिर से उन्होंने इस मुद्दे पर सीएम को निशाने पर लिया है. तेजस्वी यादव ने युवा नौकरी संवाद कार्यक्रम में कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री डर गए हैं. वह जमीनी हकीकत को पहचान नहीं पाएं.
तेजस्वी यादव ने कहा कि "महागठबंधन के प्रति लोगों का विश्वास झलक रहा है. शुरू दिन से मैं कह रहा हूं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अब बिहार संभल नहीं रहा है. वह थक चुके हैं. कल पूर्णिया के धमदाहा में उन्होंने खुद इस बात का एलान कर दिया कि यह उनका अंतिम चुनाव है.'
तेजस्वी ने बिहार के लोगों से कहा कि जिस व्यक्ति ने खुद स बात का एलान किया हो, ऐसे लोगों को वोट देने का कोई मतलब नहीं बनता है. जनता को इस बात को समझना चाहिए कि बिहार में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और अपराध बढ़ा है. सूबे में किसानों की स्थिति दयनीय है. यहां के अस्पताल आईसीयू में हैं. हॉस्पिटल में पानी भर जाता है. नीतीश कुमार का ये कहना कि ये चुनाव उनका आखिरी चुनाव है, ऐसे में समझा जा सकता है कि उन्होंने हार मान ली है.
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि अगर सीएम नीतीश ने 15 साल काम किया होता तो आज शायद ये नौबत नहीं आती. बिहार के कितने नौजवानों को कष्ट उठाना पड़ता है. पूरे सिस्टम को डबल इंजन की सरकार और नीतीश कुमार ने खत्म कर दिया है. नीति आयोग की रिपोर्ट में हर चीज में बिहार फिसड्डी रहा.
तेजस्वी यादव ने युवा नौकरी संवाद कार्यक्रम में बिहार के लोगों को संबोधित किया. नेता प्रतिपक्ष ने लॉ एंड आर्डर की स्थिति को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने आगे कहा कि जो उन्होंने संकल्प लिया है, उसे समय रहते पूरा किया जायेगा. महागठबंधन की सरकार लॉ एंड आर्डर से कॉम्प्रमाइज करने वाले नहीं हैं. किसी ही दोषी या साजिशकर्ता को बख्शा नहीं जायेगा.
आपको बता दें कि गुरूवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार चुनाव प्रचार के आखिरी दिन पूर्णिया के धमदाहा में कहा कि "आज चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है. परसो चुनाव है और मेरा यह अंतिम चुनाव है. अंत भला तो सब भला. अब आपलोग बताईए वोट एनडीए के प्रत्याशी को दीजिएगा न."
सीएम के इस बयान पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गुरूवार को भी टिप्पणी करते हुए कहा था कि ''मैं जो बात पहले से कहता रहा हूं कि नीतीश कुमार जी थक चुके हैं, उनसे बिहार संभल नहीं रहा है. वो जमीनी हकीकत को पहचान नहीं पाए और जब उन्हें अहसास हुआ तो उन्होंने संन्यास लेने की घोषणा कर दी.''