मुकेश सहनी ने तेजस्वी को दी चुनौती, कहा- "मछली पकड़ने का इतना ही शौक है तो चमकदार कुर्ता-पैजामा, ब्रांडेड जूता उतारकर मेरे साथ तालाब में उतरिए"

मुकेश सहनी ने तेजस्वी को दी चुनौती, कहा- "मछली पकड़ने का इतना ही शौक है तो चमकदार कुर्ता-पैजामा, ब्रांडेड जूता उतारकर मेरे साथ तालाब में उतरिए"

DESK: बिहार में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर चुनाव प्रचार भी जारी है। अभी हाल ही में नेता प्रतिपक्ष का मछली मारते एक वीडियो सामने आया था। मछली मारते तेजस्वी का यह वीडियो तारापुर विधानसभा क्षेत्र का है। जब वे चुनाव प्रचार कर लौट रहे थे तभी खेतों में घूमते और तालाब में मछली मारते तेजस्वी नजर आए थे। तेजस्वी ने मछली मारने पर राजनीति तेज हो गयी। इसे लेकर बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया। पहले जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने तेजस्वी पर हमला बोला अब मंत्री मुकेश सहनी ने इसे लेकर तेजस्वी को चुनौती दे डाली है। 


जब इस विवाद में मल्लाह समाज की चर्चा की गयी तब वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी चुप भी नहीं बैठे। मुकेश सहनी ने 2020 की बात याद दिलाते हुए तेजस्वी यादव को खुले तौर पर चुनौती दे डाली। मुकेश सहनी ने ट्वीट करते हुए कहा कि "तेजस्वी जी मछली पकड़ने का इतना ही शौक है तो चमकदार कुर्ता-पैजामा, ब्रांडेड जूता उतारकर मेरे साथ तालाब में उतरिए, तब समझ में आएगा कि एक मछुआरे को मछली पकड़ने में कितना मेहनत लगता है। खैर, मछुवारे समाज को 2020 में आपके द्वारा पीठ में भोंका खंजर अच्छे से याद है। 


मुकेश सहनी से पहले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने तेजस्वी पर हमला बोला था। ललन सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा था कि "पढ़ाई में कक्षा छोड़कर 9वीं फेल रहे वैसे ही जनता से मुंह चुराकर मछली पकड़ने का नाटक राजनीतिक अविश्वास सिद्ध होगा. 2020 में सरेआम मत्स्यजीवी समाज के नेता व वर्तमान कैबिनेट मंत्री मुकेश सहनी की बेइज्जती सबको याद है, ढ़ोंग मत करिए प्रवासी बाबू, लोग जागरूक हैं."


ललन सिंह के ट्वीट का तेजस्वी ने भी जवाब दिया था। तेजस्वी ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि " मत्स्यजीवी समाज को कम आत्मविश्वास वाला और मछली पकड़ने को हेय काम बताने वाले नीतीश कुमार के 'राष्ट्रीय अध्यक्ष’ को पूरे मल्लाह समाज से माफी मांगनी चाहिए। ये जेडीयू-बीजेपी वाले अपनी सामंती सोच को बस किसी तरह दबा, छुपा कर बैठे हैं। रह-रहकर वंचितों के प्रति जहर इनके मुंह से निकलता ही रहता है।"