DESK: विजयादशमी और स्थापना दिवस के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी की शुभकामनाएं दी हैं.इसके साथ ही कहा कि हमारी सेना में अटूट देशभक्त्ति है. इस बार जवानों ने पहली बार चीन का करारा जवाब दिया है.
मोहन भागवत ने कहा कि इस महामारी के संदर्भ में चीन की भूमिका संदिग्ध रही यह तो कहा ही जा सकता है. परंतु भारत की सीमाओं पर जिस प्रकार से अतिक्रमण का प्रयास अपने आर्थिक सामरिक बल के कारण मदांध होकर उसने किया वह तो सम्पूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट है. श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रह्मदेश, नेपाल ऐसे हमारे पड़ोसी देश, जो हमारे मित्र भी हैं और बहुत मात्रा में समान प्रकृति के देश हैं. उनके साथ हमें अपने संबंधों को अधिक मित्रतापूर्ण बनाने में अपनी गति तीव्र करनी चाहिए. हम सभी से मित्रता चाहते हैं. वह हमारा स्वभाव है. लेकिन हमारी सद्भावना को दुर्बलता मानकर अपने बल के प्रदर्शन से कोई भारत को चाहे जैसा नचा ले. झुका ले. यह हो नहीं सकता,इतना तो अब तक ऐसा दुःसाहस करने वालों को समझ में आ जाना चाहिए.
मोहन भागवत ने कहा कि समाज में किसी प्रकार से अपराध की अथवा अत्याचार की कोई घटना हो ही नहीं,अत्याचारी व आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर पूर्ण नियंत्रण रहे और फिर भी घटनाएं होती हैं तो उसमें दोषी व्यक्ति तुरंत पकड़े जाएं उनको कड़ी से कड़ी सजा हो. यह शासन प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए. शासन-प्रशासन के किसी निर्णय पर या समाज में घटने वाली अच्छी बुरी घटनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देते समय अथवा अपना विरोध जताते समय,राष्ट्रीय एकात्मता का ध्यान व सम्मान रखकर, संविधान कानून की मर्यादा के अंदर ही अभिव्यक्त हो यह आवश्यक है.