PATNA : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने आज अपने सरकारी आवास पर ब्राह्मणों को भोज के लिए आमंत्रित किया था. मांझी के निमंत्रण पर बड़ी संख्या में ब्राहमण समाज के लोग भोज करने पहुंचे हैं. मांझी ने खुद अपने हाथों से ब्राह्मणों को दही चूड़ा परोसा. लेकिन वहां ब्राह्मणों के साथ धक्का मुक्की हो गई. और ब्राह्मण नाराज होकर बिना खाए ही बाहर निकल गये.
मांझी ने अपने भोज में आमंत्रित ब्राह्मणों के लिए शर्त रही थी कि उनके वहां ऐसे ब्राहमण आये जो मांस-मदिरा और मछली का सेवन नहीं करते हों. जो ब्राह्मण चोरी डकैती नहीं की हो. इसी बात को लेकर वहां विवाद हो गया. ब्राहमणों को इसी बात की आपत्ति थी. ब्राहमण ने कहा कि बिहार में शराबबंदी है फिर यहां मदिरा पीने की बात कैसे कर रहे वो. हम लोग मांझी जी से यही पूछने आये हैं. ब्राह्मणों ने कहा कि हम मांझी जी से मिलना चाहते थे लेकिन हमारे साथ धक्का-मुक्की हुई. एक ओर भोज देते हैं. और बैठने नहीं देते. ब्राह्मणों को गाली देते हैं.
इधर, माहौल गर्म होने के बाद हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर के प्रवक्ता दानिश रिज़वान ने नाराज़ ब्राह्मणों को समझाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि यहां दलित ब्राह्मण भोज एकता के लिए कराई जा रही है. आपको कोई शिकायत है तो चलकर बैठकर बात करें. लेकिन नाराज़ ब्राह्मणों ने कोई बात नहीं सुनी. उन्होंने भोज का बहिष्कार करते हुए कहा कि मांझी सिर्फ राजनीति कर रहे हैं.
हालांकि इससे पहले वहां पहुंचे ब्राह्मणों ने कहा कि उन्होंने मांझी को माफ़ कर दिया है. कई जिलों के ब्राह्मण पहुंच कर शंख बजाकर यह संदेश दिया कि वह मांझी के साथ हैं. मांझी ने भी पहले ही माफ़ी मांग ली थी और कहा था कि वह ब्राह्मण नहीं ब्राह्मणवाद के खिलाफ हैं.
दरअसल, ब्राह्मणों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की भारी फजीहत हो रही है. मांझी ने जो विवादित बयान दिया उसके बाद उनका हर तरफ विरोध हुआ है. खुद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने मांझी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. नीतीश कुमार भी मान जी के इस बयान से नाराज बताए जा रहे हैं. लेकिन हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा अब इस मसले को राजनीतिक तौर पर भुनाने में जुट गया है. एक तरफ ब्रह्मणों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी तो वहीं दूसरी तरफ ब्राह्मण भोज.