महागठबंधन की महारैली को BJP ने बताया फ्लॉप, बदहवास और जन अविश्वास रैली दिया नाम

1st Bihar Published by: VISHWAJIT ANAND Updated Sun, 03 Mar 2024 06:30:14 PM IST

महागठबंधन की महारैली को BJP ने बताया फ्लॉप, बदहवास और जन अविश्वास रैली दिया नाम

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PATNA: पटना के गांधी मैदान आज महागठबंधन की जन विश्वास महारैली संपन्न हुई। इस महारैली में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, कांग्रेस के लोकसभा सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे, वाम दल के नेता डी राजा, माकपा के सीताराम येचुरी, दीपांकर भट्टाचार्य के अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव सहित कई अन्य बड़े चेहरे मंच पर मौजूद थे। 


महागठबंधन की रैली के बाद बीजेपी ने पटना में प्रेस को संबोधित करते हुए इसे जन अविश्वास रैली करार दिया। बीजेपी की पीसी में राज्यसभा सांसद भीम सिंह, एमएलसी जनक राम सहित कई बीजेपी नेता मौजूद रहे। राज्यसभा सांसद भीम सिंह ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार की जनता को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने इस रैली को जन अविश्वास रैली करार दिया। 


तेजस्वी और राहुल की जोड़ी विफल रही। उन्होंने बताया कि कल 2 मार्च को औरंगाबाद और बेगूसराय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली हुई थी जिसमें भारी संख्या में लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी। कल की रैली के मुताबिक आज महागठबंधन की महारैली में एक चौथाई भीड़ भी नहीं थी। 


इस रैली का नाम जन विश्वास नहीं बल्कि बदहवास रैली होनी चाहिए थी। क्योंकि मंच पर बैठे तमाम नेता बदहवास थे। लालू यादव अपने बेटे के बारे में लोगों को बता रहे थे। मां जानकी के पिता का नाम दशरथ बता रहे थे। कम्युनिस्ट पार्टी का बयान भारतीय संस्कृति से अलग थे। यह रैली विरोधाभास से भरी थी। लालू भी अपने माथे को पीट रहे होंगे। लालू सोच रहे थे कि बीजेपी ने अपनी रैली में जो भीड़ इकट्ठा किया इसका एक चौथाई भी भीड़ तेजस्वी इकट्ठा नहीं कर पाए। विधायकों के संसाधन और भोज भात नाच गाने के बदौलत कुछ लोग पहुंचे थे। 


ये रैली परिवारवादी, सत्ता लोभी पार्टियों का जमावड़ा था। वही बीजेपी एमएलसी जनक राम ने कहा कि जन विश्वास के नाम पर जनता को गुमराह करने का प्रयास किया गया। लालू ,तेजस्वी,राहुल गांधी, अखिलेश यादव मंच पर मौजूद थे। जनता को एकजुट दिखाने का प्रयास कर रहे थे जो विफल साबित हुआ। रैली पूरी तरह फ्लॉप थी। लालू के बयान पर जनक राम ने कहा कि बाथे और चेनारी नरसंहार का दौड़ चला गया। अब दलितों को कोई गुमराह नहीं कर सकता। 17 महीने तक सरकार में रहकर तेजस्वी यादव ने जो धन उगाही करने का काम किया उसे जनता जान चुकी है।