कुर्सी बचाने के लिए नाराज नेताओं के घर पहुंचे नेपाल के PM, आज होगा भाग्य का फैसला

कुर्सी बचाने के लिए नाराज नेताओं के घर पहुंचे नेपाल के PM, आज होगा भाग्य का फैसला

DESK: नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली भारत से विरोध कर चीन के करीब क्या गए उनकी कुर्की की उल्टी गिनती ही शुरू हो गई है. कुर्सी बचाने के लिए वह लगातार नाराज नेताओं से संपर्क कर रहे हैं. यहां तक की पीएम नाराज नेताओं के ऑफिस से लेकर घर तक पहुंचकर मनाने की कोशिश कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि नाराज नेता मानते को तैयार नहीं है. 

40 में से 33 विरोध में

सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) की स्टैडिंग कमेटी में 40 नेता है. लेकिन इनमें से 33 नेता पीएम के खिलाफ हैं. वह लगातर कई दिनों से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं. दवाब के बाद नेपाल के पीएम ने मुख्य विरोधी पुष्प कमल दहल प्रचंड से तीन घंटे मुलाकात की है. आज एनसीपी की स्थायी समिति की बैठक होने वाली है. जिसमें नेपाल के पीएम का भाग्य का फैसला किया जाएगा.

चीन ने नेपाल के जमीन पर किया कब्जा

नेपाल के साथ कई माह से भारत का रिश्ता खराब होते गया. नेपाल चीन के इशारे पर हरकत कर रहा था. भारत के साथ रिश्ते खराब कर लिए. लेकिन इस बीच नेपाल के ही सैकड़ों एकड़ जमीन पर चीन ने कब्जा जमाना शुरू कर दिया. जिसकी हकीकत लोगों को सामने आने लगी. चीनी सैनिक नेपाल के कई एरिया में घुमने लगे. जिससे नेपाल के लोगों की परेशानी बढ़ने लगी. 



महंगाई से नेपाल के लोग परेशान

भारत से रिश्ता खराब करने के बाद नेपाल में खाद्यान, पेट्रोल, डीजल, फल समेत कई जरूरी सामान नहीं जा पा रहा है. जिसके कारण वहां पर महंगाई कई गुना बढ़ गया है. जिसके कारण नेपाल के नागरिक परेशान हो गए हैं. वहां के लोगों को भी लगने लगा है कि यह सब भारत से रिश्ता खराब होने के कारण हुआ है. महंगाई से परेशान वहां की जनता ने चीन और पीएम ओली के खिलाफ सड़कों पर उतरने लगी. विरोध देख नेताओं के होश उड़ने लगे. अब नेता भी चीन का विरोध करने लगे. उनको लग रहा है कि चीन सिर्फ भारत के खिलाफ नेपाल का इस्तेमाल कर रहा है. जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रह है. भारत-नेपाल के बीच सबसे पहले कालापानी और लिपुलेख को लेकर विवाद शुरू हुआ. इस बीच तनाव बढ़ता गया. सीतामढ़ी बॉर्डर पर नेपाल के जवानों ने भारत के नागरिकों पर फायरिंग कर दी. जिससे एक की मौत हो गई. जिसको बंधक बनाकर ले गए उसके साथ बुरा बर्ताव किया. विरोध के बाद बाद में छोड़ना पड़ा.