PATNA : भोजपुरी के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव के कार्यक्रम में काफी बवाल हुआ है. छत्तीसगढ़ के मैनपाट महोत्सव में यह बड़ी घटना हुई. दरअसल जब भोजपुरी के मशहूर गायक खेसारी लाल यादव स्टेज पर गाना गाने पहुंचे तो वहां मौजूद भीड़ अनियंत्रित हो गई. कार्यक्रम के दौरान मंच पर भगदड़ मच गई. यहां तक की लोगों को नियंत्रित करने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ गया, जिसके बाद भीड़ और भी ज्यादा उग्र हो गई.
छत्तीसगढ़ में इन दिनों 3 दिवसीय मैनपाट महोत्सव जारी है, जहां भोजपुरी एक्टर और सिंगर खेसारी लाल यादव को भी गाना गाने के लिए बुलाया गया था. लेकिन जब खेसारी वहां पहुंचे और कुछ और ही हो गया. उनके फैंस उनसे मिलने के लिए इतने बेताब हो गए कि वहां काफी हंगामा हो गया. पुलिस को भी लाठीचार्ज करने की नौबत आ गई.
दरअसल, भोजपुरी कलाकार मंच पर बैठे हुए थे, उसी दौरान उनके फैंस उनसे मिलने सुरक्षा को तोड़ते हुए मंच पर चढ़ गए. इसी कारण कार्यक्रम में भगदड़ मच गई. बताया जा रहा है कि आयोजन स्थल पर खेसारी लाल यादव की शानदार प्रस्तुति से भीड़ का उत्साह चरम पर था. दर्शक लगातार झूम रहे थे. वीवीआइपी दीर्घा में पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे. खेसारी लाल यादव की प्रस्तुति के दौरान देर रात झूमते दर्शकों और कुछ पुलिसकर्मियों के बीच विवाद हो गया. विवाद इतना बढ़ा कि देखते ही देखते पुलिसकर्मियों ने भीड़ पर लाठियां चलानी शुरू कर दी, जिसके कारण आयोजन स्थल पर भगदड़ मच गई.
जब यह घटना हो रही थी तो स्टेज से खेसारी लाल यादव ने हाथ जोड़कर लोगों से काफी अपील की. उन्होंने रिक्वेस्ट करते हुए कहा कि "कृपया दर्शकों पर लाठी ना चलाएं. वे हैं तो ही खेसारी लाल यादव जिंदा है लेकिन पुलिसकर्मियों ने नामचीन कलाकार की अपील को भी दरकिनार किया और लगातार दर्शकों पर लाठियां चलाई." जब स्थिति पुलिस के कंट्रोल में नहीं आ पाई तो भोजपुरी स्टार कार्यक्रम बीच में छोड़कर ही अपने होटल की ओर चल दिए.
लाठीचार्ज होता देख लोग भागने लगे. कई लोग पुलिस की लाठी खाकर घायल हो गए. घायलों को अस्पताल ले जाने एंबुलेंस की व्यवस्था न हो पाना प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोलता है. कार्यक्रम में मौजूद अंबिकापुर एसडीएम अजय त्रिपाठी ने दर्शकों को समझाया. घायलों और उनके परिजनों ने पहुंचकर इसके लिए आपत्ति दर्ज कराई.
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 12 फरवरी को सरगुजा पहुंचे थे, जहां उन्होंने महोत्सव की शुरुआत करने के बाद कहा था कि यह महोत्सव सरगुजिहा, भोजपुरी और तिब्बती संस्कृती के मिलाप का महोत्सव है. यहां का बौद्ध मंदिर अपने आप में अनोखा है. वहीं खेतों में लाल और बैंगनी आलू देखकर आज भी आश्चर्य होता है.