खत्म हुआ 500 सालों का इंतजार, राममंदिर पहुंची रामलला की श्यामल प्रतिमा; यहां देखिए तस्वीरें

खत्म हुआ 500 सालों का इंतजार, राममंदिर पहुंची रामलला की श्यामल प्रतिमा; यहां देखिए तस्वीरें

DESK : अयोध्या में लगभग पांच सौ साल बाद आखिर वह पल आ गया जब रामलला अपने भव्य- दिव्य नवीन मंदिर में प्रतिष्ठित होने के लिए पहुंच गए। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रामलला के अंचल विग्रह को देर शाम कर्म कुटीर से बंद ट्रक में रामपथ से श्रीरामजन्म भूमि परिसर में ले जाया गया। इसके बाद देर रात क्रेन के सहारे प्रतिमा को ट्रक से उतार कर मंदिर परिसर में लाया गया।


वहीं, अब आज यानी गुरुवार को प्रतिमा को गर्भगृह में विराजमान करा दिया जाएगा। इसके बाद 22 जनवरी को पीएम मोदी की मौजूदगी में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन होगा। इसके पहले निर्धारित मुहूर्त में सायं 4.20 बजे रामलला के प्रतिरूप रजत विग्रह का पूजन किया गया और फिर पालकी में बिठाकर कर प्रतीकात्मक रूप से नवीन मंदिर की परिधि में भ्रमण कराया। जयकारों के साथ रामलला की पालकी को सहारा देने के लिए सभी पदाधिकारियों के साथ मौजूद अन्य कार्यकर्ता भी लालायित रहे।


मालूम हो कि, इसके पहले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए चल रहे अनुष्ठान की शृंखला में दूसरे निर्धारित मुहूर्त में दोपहर 1: 25 बजे से मां सरयू का विधिवत पूजन किया गया। इसके साथ यज्ञमंडप में प्रतिष्ठित होने वाले नौ ताम्र कलशों का पूजन किया गया। इसके बाद प्रमुख यजमान डॉ. अनिल मिश्र व उनकी धर्मपत्नी उषा मिश्रा ने कलश लेकर चलने के लिए पांच सुहागिनों का भी वरण किया। इन सुहागिनों का चयन पहले ही कर उन्हें सरयू तट पर आमन्त्रित किया गया था।

इस पूजन के उपरांत सरयू का जल कलश में भरकर जल यात्रा की शुरुआत हुई। यह जल यात्रा भी प्रतीकात्मक थी। सुहागिन महिलाएं सिर पर कलश लेकर सरयू तट से राम पैड़ी आई और फिर इन सभी को यजमान के साथ अलग-अलग वाहनों से श्रीरामजन्म भूमि परिसर ले आया गया। प्राण प्रतिष्ठा के लिए नियुक्त प्रतिष्ठाचार्य पं लक्ष्मीकांत दीक्षित के सुपुत्र व सहायक आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि रामलला के अचल विग्रह की प्रतिष्ठा नियत पर करने के बाद उनके अधिवास का शुभारम्भ गुरुवार को हो जाएगा। इस अनुष्ठान का शुभारम्भ गणपति के पूजन से होगा। पुनः मात्रिका पूजन, पंचांग पूजन व मंडप प्रवेश होगा।

उधर, शुक्रवार को मंदिर की वास्तु शांति के साथ अरणि मंथन से यज्ञकुंड में अग्नि देव का प्राकट्य कराया जाएगा और फिर होम की शुरुआत होगी। उधर यज्ञमंडप में श्रीमद वाल्मीकि रामायण, भुसुंडि रामायण व आनंद रामायण सहित अन्य ग्रंथों का पारायण व वेदों का पारायण भी चल रहा है।