PATNA : एलजेपी (रामविलास) और एलजेपी (पशुपति पारस) को लेकर बिहार की राजनीति में चर्चा तेज़ है। बताया जा रहा है कि एलजेपी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान फिर से बीजेपी में शामिल होने वाले हैं। वहीं, वर्तमान हालात की बात करें तो चिराग के चाचा पशुपति पारस केंद्र में मंत्री हैं। लेकिन अगर चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री बन जाते हैं तो सवाल उठना लाज़मी है कि एक ही पार्टी से दो मंत्री कैसे बनेंगे। वो भी ऐसी स्थिति में जब चिराग पासवान ने पिछले दिनों ये कहा था कि जहां चाचा रहेंगे वहां मैं नहीं जा सकता। ऐसे में लोगों की उलझनें बढ़ रही है कि आखिर चिराग पासवान की अगली चाल क्या होने वाली है। लेकिन, इन सब के बीच एलजेपी (पशुपति पारस) ने चिराग पासवान की पोल खोल दी है।
एलजेपी (पशुपति पारस) के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा है कि जहां तक चिराग पासवान की बात है तो उनके समर्थक लून के बीच भ्रमचक्र चला रहे हैं और अफवाह फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। जब कि चिराग पासवान ने कई बार ये कहा है कि हमारा जिसके साथ भी गठबंधन होगा वो हम 2024 के लोकसभा चुनाव के घोषणा के पहले ही मैं ऐलान करूंगा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जहां तक चिराग के केंद्रीय मंत्री बनने की बात है तो उन्होंने खुद को बिहार का मुख्यमंत्री कर उम्मीदवार घोषित कर दिया है। हर जगह ये नारे लग रहे हैं कि बिहार का सीएम कैसा हो, चिराग पासवान जैसा हो। तो चिराग के केंद्रीय मंत्री बनने का तो सवाल ही खड़ा नहीं होता है।
श्रवण अग्रवाल ने कहा कि चिराग पासवान ने एक षड्यंत्र के तहत खुद को मोदी का हनुमान बताया। लेकिन सच्चाई यह है कि वे लालू यादव और सोनिया गांधी के हनुमान हैं। चिराग पासवान के एक रणनीतिकार के गलत फैसले के कारण आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य को बर्बाद कर दिया है। चिराग पासवान केवल लोकसभा की सदस्य्ता बचाने के लिए व्याकुल हैं।
अग्रवाल ने आगे कहा कि अभी पासवान का कोई नेता है तो वे केवल पशुपति पारस हैं। चिराग पर हमला बोलते हुए उन्होंने खा कि जो इंसान अपने सांसदों को एकजुट नहीं रख पाया वो राजनीति क्या संभालेगा। 136 सीट पर चुनाव लड़ने के बाद केवल एक MLA को जीत हासिल हुई और बाद में वो जेडीयू में भाग गए। एक एमएलसी नूतन सिंह भी चिराग को छोड़कर चली गई। उन्होंने ऐसे कई नेताओं का नाम गिनाया, जो अब चिराग पासवान की पार्टी से अलग हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि चिराग पासवान केवल बिहार का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। यही वजह है कि वे अब बीजेपी का सहारा ले सकते हैं। लेकिन, उनका ये सपना सपना ही रह जाएगा। पहले वे अपने विधायक और अपने परिवार को संभाल लें।