MUZAFFARPUR : कोरोना महामारी के बीच बिहार में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की कई तस्वीरें लगातार देखने को मिल रही हैं। कहीं ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की कमी है तो कहीं मरीजों के लिए एम्बुलेंस नहीं हैं। आपदा में कराहते इस सरकारी सिस्टम के बीच बिहार के लोगों ने अब जुगाड़ के सहारे संघर्ष करना सीख लिया है। जुगाड़ के सहारे जिंदगी बचाने की जद्दोजहद करती ऐसी ही तस्वीर मुजफ्फपुर से सामने आई है।
मुजफ्फरपुर की यह तस्वीर अहियापुर थाना इलाके के शेखपुर की रहने वाली लीला देवी की है। 80 साल की लीला देवी कोविड वार्ड में भर्ती थी। सुधार नहीं होने पर परिजनों ने उन्हें एसकेएमसीएच से घर ले जाने की इच्छा जताई। डॉक्टर ने भी उसे तत्काल डिस्चार्ज कर दिया। काफी कोशिशों के बाद भी उन्हें अस्पताल से एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिली। इसकी जानकारी परिजनों ने सुरक्षाकर्मियों को दी। इसके बाद परिजन जुगाड़ गाड़ी से लीला देवी को घर ले गए।
एम्बुलेंस या कोई अन्य गाड़ी 80 साल की इस महिला के लिए सरकारी सिस्टम उपलब्ध नहीं करा पाया। अब सरकार का एक और पहलू आपको दिखाते हैं। जिले के डीटीओ के मुताबिक मुजफ्फरपुर में एक भी जुगाड़ गाड़ी नहीं है। लेकिन सरकारी फाइलों में जिस जुगाड़ गाड़ी की संख्या शून्य है उसी जुगाड़ ने एक मरीज को राहत दी।
आपको बता दें कि एसकेएमसीएच में केवल 6 एंबुलेंस हैं। यहां लगभग ढाई दर्जन प्राइवेट एंबुलेंस खड़ी रहती हैं। अधिकारियों के मुताबिक सरकारी एंबुलेंस से मरीज को बाहर छोड़ने की सुविधा नहीं है। कोरोना काल में निजी एंबुलेंस वाले कम दूरी के लिए ज्यादा पैसे मांग रहे हैं। ऐसे में गरीब और मजबूर परिजन प्राइवेट एम्बुलेंस की सेवा नहीं ले पाते।