DELHI: पड़ोसी राज्य झारखंड में हुए विधानसभा चुनाव में भले लालू प्रसाद यादव की पार्टी सिर्फ एक सीट जीत पायी. लेकिन वहां के चुनाव परिणाम ने बिहार में लालू प्रसाद यादव के सियासी वारिस तेजस्वी प्रसाद यादव को जबरदस्त फायदा पहुंचा दिया है. कांग्रेस आलाकमान से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि कांग्रेस बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को तैयार हो गयी है. यानि बिहार का विपक्षी महागठबंधन तेजस्वी को सीएम पद का दावेदार मान लेगा.
तेजस्वी को नेता मानने से सहयोगी पार्टियां कर रही थी इंकार
लालू प्रसाद यादव हर हाल में अपने बेटे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाना चाहते हैं. लेकिन कांग्रेस समेत दूसरी सहयोगी पार्टियां तेजस्वी को नेता मानने को तैयार नहीं थीं. लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की बुरी हालत का ठीकरा भी तेजस्वी पर फोड़ा जा रहा था. कांग्रेस के कई नेताओं ने खुल कर कहा कि तेजस्वी यादव अपने वोट बैंक को ट्रांसफर नहीं करा पाये. इसके कारण ही महागठबंधन 40 में से 39 सीटों पर हारा. बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल बार-बार पूछे जाने पर भी तेजस्वी यादव को सीएम पद का दावेदार बताने को राजी नहीं हो रहे थे.
झारखंड चुनाव से बदल गयी फिजा
दरअसल झारखंड चुनाव परिणाम ने कांग्रेस आलाकमान की सोच बदल दी है. पार्टी ने वहां हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर चुनाव लड़ा. नतीजा ये हुआ कि भाजपा की सरकार गयी और कांग्रेस को भी भारी फायदा हुआ. पार्टी अब झारखंड फार्मूला बिहार में भी अपनाने को तैयार है. यानि महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद के नेता तेजस्वी यादव को सीएम पद का दावेदार मान लिया जायेगा. लेकिन इसके बदले कांग्रेस सीट शेयरिंग में ज्यादा हिस्सेदारी मांगेगी.
बिहार में चुनावी तैयारी शुरू करने जा रही है कांग्रेस
कांग्रेस ने बिहार में चुनावी तैयारी शुरू करने का भी फैसला लिया है. पार्टी के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के मुताबिक पार्टी ने फिलहाल बिहार की सभी 243 सीटों पर तैयारियां शुरू कर दी है. लेकिन सहयोगी दलों से अप्रैल में शीट शेयरिंग पर बातचीत होगी. गोहिल के मुताबिक कांग्रेस बिहार के महागठबंधन को और मजबूत करने की कोशिशों में लग गयी है.
कुशवाहा-मांझी का क्या होगा
कांग्रेस ही नहीं बल्कि उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी जैसे नेता भी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानने से इंकार कर रहे थे. उपेंद्र कुशवाहा की महत्वाकांक्षा खुद बिहार का सीएम बनने की रही है. ये अलग बात है कि उनकी पार्टी की फिलहाल ऐसी हैसियत नहीं है कि वे सीएम पद के दावेदार बन पायें. कांग्रेस अगर तेजस्वी को सीएम पद का दावेदार मान लेती है तो फिर कुशवाहा के विरोध में कोई दम नहीं बचेगा. जीतन राम मांझी का फिलहाल कोई नोटिस नहीं ले रहा है. महागठबंधन के एक और घटक दल विकासशील इंसान पार्टी (VIP) पार्टी को तेजस्वी को गठबंधन का नेता मानने से कोई परहेज नहीं है.
कुल मिलाकर कहें तो झारखंड चुनाव ने तेजस्वी को फायदा पहुंचा दिया है. लेकिन उनकी निगाहें भाजपा-जदयू गठबंधन पर भी लगी होंगी. अगर दोनों पार्टियों का गठबंधन बना रहता है तो तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा हो पाना कठिन होगा.