PATNA: विधायक के साथ-साथ युवा जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष रहने के बाद जदयू नेता अभय कुशवाहा को नयी जिम्मेवारी मिली है। वे केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के APS बनाये गये हैं। सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है। ये दिलचस्प है कि कोई पूर्व विधायक किसी मंत्री का APS यानि एडिशनल प्राइवेट सेकेट्री बन जाये। लेकिन जेडीयू में जो खेल हो रहा है उसमें कुछ भी संभव हो जायेगा। हालांकि अभय कुशवाहा इस खबर की ना तो पुष्टि कर रहे हैं और ना खंडन कर रहे हैं। जेडीयू के एक औऱ नेता को भी आरसीपी सिंह के निजी स्टाफ में जगह दी गयी है।
आरसीपी बाबू अभय कुशवाहा को अपने साथ ले गये
दरअसल जेडीयू के भीतर के खेल जगजाहिर हो गया है. अब ये साफ हो गया है कि आरपीसी सिंह अलग थलग पड़ गये हैं. हालियों दिनों में पार्टी के जिन नेताओं से आरसीपी सिंह के लिए कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखाया उन पर गाज गिरनी शुरू हो गयी है. ऐसे में शायद यही कारण रहा कि आरसीपी सिंह ने अपने लोगों को अपने मंत्रालय में अपने निजी स्टाफ के तौर पर सेट करना शुरू कर दिया है. कहीं तो जगह मिली रहे.
सूत्रों के हवाले से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक बिहार के टिकारी से विधायक रह चुके अभय कुशवाहा को आरसीपी सिंह ने अपना एपीएस बनाया है. केंद्रीय मंत्री को ये अधिकार होता है कि वे किसी निजी व्यक्ति को अपना एडिशनल प्राइवेट सेकेट्री बना सकते हैं. हालांकि उस APS का कार्यकाल तभी तक होता है जब तक मंत्री कुर्सी पर रहते हैं. मंत्री के कुर्सी से हटते ही APS भी हट जाते हैं.
संतोष मेहता को असिस्टेंट पीएस बनाया
सूत्रों से मिल रही खबर के मुताबिक जेडीयू अति पिछड़ा सेल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संतोष मेहता को भी आऱसीपी सिंह ने अपने निजी स्टाफ में सेट किया है. उन्हें असिस्टेंट प्राइवेट सेकेट्री का पद दिया. वेतन-भत्ता अभय कुशवाहा से कम मिलेगा. सेवा की शर्तं वही रहेंगी, यानि मंत्री के हटने के साथ ही सेवा भी समाप्त. संतोष मेहता भी आरसीपी सिंह के प्रबल समर्थकों में से एक रहे हैं.
विधायक जी APS क्यों बन गये
लेकिन सवाल ये है कि पूर्व विधायक अभय कुशवाहा दिल्ली में एपीएस क्यों बन गये. पहले समझिये कि अभय कुशवाहा कौन हैं. ये वही हैं जिन्होंने आरसीपी सिंह के मंत्री बनकर पटना आने के दौरान पटना की सड़कों पर सबसे ज्यादा गदर काटा था. सबसे ज्यादा होर्डिंग बैनर लगाये औऱ उनमें ललन सिंह औऱ उपेंद्र कुशवाहा की तस्वीर गायब कर दी. बाद में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तो तस्वीर होर्डिंग-बैनर में लगायी पर उपेंद्र कुशवाहा को नेता मानने से भी इंकार कर दिया. मीडिया से बातचीत में कहा कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी के पदधारक हो सकते हैं लेकिन नेता नहीं हैं. अभय कुशवाहा ने आरसीपी सिंह के गया दौरे में पूरे शहर को होर्डिंग-बैनर से पाट दिया था. लोगों के मुताबिक पैसे को पानी की तरह बहाया गया था.
इस बीच आरसीपी सिंह समर्थकों ने उनके मंत्री बनने के बाद जो गदर काटा था उसका पार्टी के भीतर इलाज अब शुरू हो गया है. गुरूवार को ही आरसीपी सिंह के सबसे खास और जेडीयू के मुख्यालय प्रभारी महासचिव अनिल कुमार सिंह और चंदन कुमार को मुख्यालय के प्रभार से हटा दिया गया है. अनिल और चंदन ही आरसीपी सिंह के बिहार दौरे का प्रोग्राम बना रहे थे और जिलों में पार्टी नेताओं को कॉल कर उन्हें साहब के स्वागत में मजबूती से आने को कह रहे थे. वहीं, आरसीपी सिंह के एक और करीबी और पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख अमरदीप से जबरन पद से इस्तीफा ले लिया गया था.
पार्टी में ये माना जा रहा था कि अभय कुशवाहा का भी इलाज होगा. पार्टी ने गुरूवार को ही हर जिले में दो-दो प्रभारियों की नियुक्ति की है. अभय कुशवाहा फिलहाल पार्टी के महासचिव हैं लेकिन उन्हें कहीं का भी प्रभारी नहीं बनाया गया है. जाहिर है उन पर भी गाज गिरनी तय मानी जा रही थी. उससे पहले आरसीपी सिंह उन्हें अपने साथ खींच ले गये.
लेकिन सवाल है कि आरसीपी सिंह कितने लोगों को अपने साथ सेट करेंगे. पार्टी में ऐसे तकरीबन दो दर्जन नेताओं की पहचान की गयी है जो लक्ष्मण रेखा को पार करके आरसीपी सिंह के लिए काम कर रहे थे. उन सब पर गाज गिरनी तय है. जेडीयू के एक बड़े नेता ने बताया कि इलाज एलोपैथ से नहीं होम्योपैथ से होगा. इसका असर धीरे-धीरे दिखेगा. एक-दो दिन में सब कुछ नहीं दिख जायेगा. लेकिन इलाज होगा ये तय है.