बलियावी पर गिर सकती है गाज, कार्रवाई से पहले पार्टी के अंदर नाराजगी का आकलन कर रहा जेडीयू नेतृत्व

बलियावी पर गिर सकती है गाज, कार्रवाई से पहले पार्टी के अंदर नाराजगी का आकलन कर रहा जेडीयू नेतृत्व

PATNA : सिटिजन अमेंडमेंट बिल के मुद्दे पर पार्टी नेतृत्व से अलग जाकर बयान देने वाले जेडीयू एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी पर गाज गिर सकती है। बलियावी के खिलाफ जेडीयू नेतृत्व कार्रवाई करने का मन बना रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बलियावी के रुख से जेडीयू नेतृत्व नाराज है और उनके खिलाफ कार्यवाई करने की तैयारी है। संसद में जेडीयू की तरफ से नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किए जाने का बलियावी ने खुलकर विरोध किया है। पार्टी के फैसले के खिलाफ बलियावी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कई सवाल खड़े किए थे। बलियावी ने इस पूरे मामले पर जिस तरह का रुख अख्तियार किया उससे जेडीयू नेतृत्व नाराज है।


पार्टी के अंदर नाराजगी पर नजर
सूत्रों की मानें तो बलियावी के ऊपर पार्टी नेतृत्व की तरफ से निलंबन की कार्यवाई की जा सकती है लेकिन किसी भी एक्शन से पहले जेडीयू नेतृत्व इस बात का आकलन कर लेना चाहता है कि सिटिजन अमेंडमेंट बिल का समर्थन करने के फैसले से पार्टी के अंदर किस तरह की नाराजगी है। जेडीयू नेता नहीं चाहता कि ऐसे मामले में बलियावी के ऊपर एक्शन लेकर उन्हें हीरो बनाया जाए। फिलहाल पार्टी के तमाम बड़े नेता इस बात का आकलन कर रहे हैं कि बिल का समर्थन करना पार्टी के लिए क्या वाकई आत्मघाती कदम रहा है। सिटिजन अमेंडमेंट बिल को समर्थन देने के फैसले का सबसे पहले जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने विरोध किया था। पीके के बाद पवन वर्मा और फिर कई नेताओं ने पार्टी के स्टैंड पर आपत्ति जताई। पब्लिक फोरम पर अपनी नाराजगी जताने के बावजूद किसी ने नीतीश कुमार को पत्र नहीं लिखा लेकिन बलियावी पहले ऐसे नेता रहे जिन्होंने इस मामले पर राष्ट्रीय नेतृत्व के फैसले का खुलकर विरोध करते हुए नीतीश कुमार को पत्र लिख डाला। यही वजह है कि पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई का मन बना रही है।


बलियावी पर एक्शन का जोखिम
दरअसल जनता दल यूनाइटेड ने जिस तरह सिटिजन अमेंडमेंट बिल का समर्थन किया वह अप्रत्याशित था. पार्टी के अल्पसंख्यक नेताओं को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि नीतीश कुमार स्टैंड से हटेंगे। यही वजह है कि जेडीयू के अल्पसंख्यक नेताओं ने बीजेपी के साथ जाने के फैसले पर तो नीतीश कुमार का साथ दे दिया लेकिन सिटिजन अमेंडमेंट बिल का समर्थन वह पचा नहीं पा रहे. खुद जेडीयू नेतृत्व के लिए भी बलियावी पर एक्शन लेना आसान नहीं होगा. बलियावी पर अगर कार्रवाई हुई है तो क्या पार्टी के अंदर से उन्हें समर्थन देने वाले नेताओं की तादाद बढ़ सकती है, फिलहाल जेडीयू नेतृत्व इसी आकलन में जुटा हुआ है। जेडीयू ने जिस तरह सिटिजन अमेंडमेंट बिल का समर्थन किया उसके लिए एक जोखिम भरा कदम है, लेकिन बलियावी पर कार्यवाई इस जोखिम को कहीं और बड़ा न कर दे. नेतृत्व इसे अच्छे से समझ लेना चाहता है।