DELHI: इस वक्त की बड़ी खबर दिल्ली से निकलकर सामने आ रही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है। हाई कोर्ट ने केजरीवाल को राहत देने से इनकार करते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले पर रोक बरकरार रखा है। हाई कोर्ट ने ईडी की याचिका पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया। कोर्ट ने कहा है कि सभी बिंदुओ पर अभी विचार की जरूरत है।
दरअसल, दिल्ली शराब नीति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच कर रही ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद से केजरीवाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। गुरुवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें नियमित जमानत दे दी थी। 21 जून को केजरीवाल के जेल से रिहाई की तैयारी कर रहे थे, तभी ईडी हाई कोर्ट पहुंच गई और केजरीवाल की नियमित जमानत के नीचली अदालत के फैसले को चुनौती दे दी थी।
हाई कोर्ट ईडी की याचिका पर सुनवाई की। ईडी की तरफ से एएसजी एसवी राजू हाई कोर्ट में मौजूद रहे। ईडी की याचिका पर जस्टिस सुधीर कुमार जैन और न्यायमूर्ति रविन्द्र डुडेजा की अवकाशकालीन पीठ ईडी की याचिका पर सुनवाई की था। सीएम अरविंद केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में अपनी दलीलें रखी। दोनों पक्ष की दलिलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा था कि जब तक हम मामले की सुनवाई नहीं कर लेते तबतक नीचली अदालत का आदेश प्रभावी नहीं होगा। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को गंभीरतापूर्वक सुना और ईडी की याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी, जिसपर शीर्ष अदालत में सोमवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई की। एससी की बेंच ने कहा कि बेहतर होगा कि अगले सप्ताह तक सुनवाई टाल दी जाए, तबतक हाई कोर्ट का आदेश भी आ जाएगा। कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले पर परसो सुनवाई करेंगे, अगर इस बीच हाई कोर्ट का आदेश आ जाता है तो उसे भी रिकॉर्ड में रखा जाएगा।
ईडी की याचिका पर सुनवाई पूरी कर सुरक्षित रखे गए फैसले को मंगलवार को हाई कोर्ट ने सुना दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि सभी बिंदुओ पर अभी विचार करने की जरूरत है। कोर्ट के कहा कि पीएमएलए सेक्शन 45 में जमानत के लिए दी गई दोहरी शर्त का पालन नहीं होने से दलील काफी मजबूत है। हमारा का मानना है कि हाई कोर्ट पहले ही गिरफ्तारी को सही ठहराने आदेश दे चुका है ऐसे में नीचली अदालत में वैकेशनल जज को गिरफ्तारी को गलत ठहराने की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी। अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट की मुख्य बेंच में विस्तृत सुनवाई की जरुरत है।