PATNA : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बहस को लेकर सुर्खियों में आए बिहार सरकार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपने इस्तीफे की अटकलों को सिरे से खारिज किया है। सुधाकर सिंह ने कहा है कि वह अपनी पार्टी के समर्पित सिपाही हैं और उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर सिर्फ और सिर्फ आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ही कोई फैसला कर सकते हैं। मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा है कि उन्होंने व्यवस्था सुधारने के लिए पहल की है। मुख्यमंत्री को उन्होंने अपने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में कई बार जानकारी दी है। मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार खत्म करने को लेकर भरोसा दिया है लेकिन वे मंत्री रहेंगे या नहीं सिर्फ उनके पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही तय कर सकते हैं।
मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में मंत्री सुधाकर सिंह से सीएम नीतीश की बहस की चर्चा को कृषि मंत्री ने सिरे से खारिज कर दिया है। सुधाकर सिंह ने कहा है कि उनकी किसी से कोई नाराजगी नहीं हैं। मीडिया में जो चर्चा चल रही है ऐसी कोई बात नहीं हैं। सुधाकर सिंह ने कहा कि वे आज भी अपने बयान पर पूरी तरह से कायम हैं, उसमें किसी तरह का संदेह नहीं होना चाहिए। यह पूरा मामला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के संज्ञान में है और वे इस मामले को देख रहे हैं। सुधाकर सिंह ने कहा कि उनके नेता लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव हैं, इस नाते समस्या का समाधान भी उन लोगों को ही निकालना है।
सुधाकर सिंह ने कहा कि उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक अपनी बातों को पहुंचा चुके हैं और आगे जैसा उनका निर्देश मिलेगा काम करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका मुख्यमंत्री से कोई झगड़ा नहीं है। सीएम नीतीश कुमार भी बिहार को विकास के रास्ते पर ले जाना चाहते है और वे भी बिहार का विकास चाहते हैं, इसमें किसी तरह के विवाद का विषय नहीं है।बेशक नीतीश कुमार महागठबंधन के नेता है लेकिन वे लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के कहने से वे मंत्री बने हैं। उन्होंने कहा कि उनके बयान से बहुत लोगों को तकलीफ भी हो रही है लेकिन वे अपने विचारों से पीछे नहीं हटने वाले हैं।
सरकार से बगावत करने पर पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के हश्र के सवाल पर उन्होंने कहा कि पिछले 17 सालों में बहुत से लोगों ने तकलीफें झेली है। कोई अकेले सिर्फ शहाबुद्दीन ने ही परेशानी नहीं झेली थी बल्कि आनंदमोहन, जॉर्ज फर्नांडिस समेत अन्य लोगों ने भी परेशानी झेली है। सरकार के मार से आज तक कोई नहीं बचा है, वे खुद चार महिना जेल में रह चुके हैं। उन्होंने अपने इस्तीफे पर कहा कि वे उनके विभाग में जो भी गड़बड़ियां है उसे दूर भी करेंगे और खूंटा ठोक से कृषि विभाग को चलाएंगे भी।उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद की इच्छा से वे आज मंत्री हैं और अगर उनकी इच्छा नहीं होगी तो वे मंत्री नहीं रहेंगे।