PATNA : झूठे मामले को सुपरविजन में सत्य करार देना एक डीएसपी को महंगा पड़ गया. अब उन्हें डिमोत कर डीएसपी से इंस्पेक्टर बना दिया गया है. नरकटियागंज के तत्कालिन एसडीपीओ निसार को डिमोट कर दिया गया है.
बता दें कि नरकटियागंज के तत्कालीन एसडीपीओ निसार अहमद को बलात्कार के झूठे मामले को सत्यापन में सत्य करार देना महंगा पड़ गया. अब सरकार ने उन्हें डीएसपी से रिमोट करते हुए इंस्पेक्टर बनाने की सजा दी है. वह स्थाई रूप से इस पद पर रहेंगे. विभागीय कार्यवाही के बाद उन्हें यह सजा दी गई है. हालांकि निसार अहमद को अब निलंबन से मुक्त कर दिया गया है. इस बारे में गृह विभाग ने शुक्रवार को संकल्प जारी कर दिया है.
क्या था मामला
पूरा मामला पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज स्थित साठी थाना की है.जाहां कांड संख्या 162/2018 दर्ज किया गया था. इस कांड चिंदा देवी नाम की महिला ने बेतिया कोर्ट में दारर परिवाद के आधार पर दर्ज हुआ था. इसमें पुणे में रहने वाले जरार शेरखर को नामजद अभियुक्त बनाते हुए उस पर आरोप लगाया था कि शादी का झांसा देकर उसने महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाया. नरकटियागंज के तत्कालीन एसडीपीओ निसार अहमद ने इस केसा का सुपरविजन किया और प्राथमिकी की मूल धारोओं के तहर इसे सत्य करार दिया. इसके बाद इस केस के आइओ ने अभियुक्त को पुणे से गिरफ्तार कर लिया और बिहार लाकर उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
बेटे को गिरफ्तार करने के बाद एजाज शेरखर की मां नुसरत एजाज को कुछ समझ नहीं आया, क्योंकि उसका बेटा कभी पहले बिहार आया ही नहीं था.मां बिहार पहुंची और उसने बेतिया एसपी को आवेदन दिया. जांच के दौरान पाया गया कि अभियुक्त बनाए जाने के बिंदु पर एसडीपीओ ने गंभीरता से जांच नहीं की और न ही पीड़िता का मेडिकल कराया गया. पूरी जांच के बाद मामला असत्य पाया गया.
दरअसर एजाज शेरखर के पिता दुबई में कारोबार करते थे. कारोबार करने के लिए उन्होंने कई लोगों से कर्ज लिया था पर कारोबार नहीं चला. जिन लोगों से उन्होंने कर्ज लिया था उसमें से एक का दोस्त बेतिया का रहने वाला था. उसी ने जरार की मां से पैसा वसूलने के लिए बिहार की एक महिला से झूटा केस कराया था.