MUZAFFARPUR: ललित नारायण मिश्र कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेन्ट, मुजफ्फरपुर में महाविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह केन्द्रीय मंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र की 86वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर ‘एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम: अवसर और चुनौतियाँ’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के तौर पर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो.रवीन्द्र कुमार कार्यक्रम में मौजूद रहे। वहीं बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और विधायक नीतीश मिश्रा भी मौजूद थे।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन और सरस्वती वन्दना से हुई तथा महाविद्यालय के कुलसचिव डॉ. कुमार शरतेन्दु शेखर ने अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्रम से किया और प्रतीक चिन्ह भेंट किया। डॉ. शेखर ने डॉ. जगन्नाथ मिश्र को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि बिहार के समग्र विकास में खासकर शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान काफी अहम रहा। मुख्यमंत्री रहते हुए उनके द्वारा किए गए कार्यों की लंबी फेहरिस्त है। जिसका एक उदाहरण यह महाविद्यालय भी है। अपनी दूर दृष्टि और युवाओं को सबल बनाने के लिए ही डॉ. मिश्र ने 1973 में मुजफ्फरपुर जैसे पिछड़े शहर में मैनेजमेन्ट कॉलेज की स्थापना की। इस वर्ष अपनी शैक्षणिक यात्रा के 50वें वर्ष में महाविद्यालय ने नैक मूल्यांकन में नये मानदण्डों के आधार पर ग्रेड प्राप्त किया जिसे हम पूरे महाविद्यालय परिवार की ओर से डॉ. मिश्र को भविष्य निर्माता के तौर पर समर्पित करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य आत्याधुनिक शिक्षण प्रदान करना है जिसकी शिक्षण विधियों और प्रथाओं में नवीनतम तकनीक की जरूरत है। इसके तहत एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम भावी शिक्षकों को नये भारत के भविष्य निर्माण में योगदान देने के लिए सवल बनायेगा।
प्रतिकुलपति ने कार्यक्रम की सार्थकता के संबंध में कहा कि डॉ. जगन्नाथ मिश्र जैसे दिवंगत महामना की जयंती निश्चित रूप से युवाओं में चरित्र निर्माण को प्रबलता देगा और सार्थक मानव बनाने में प्रेरणादायी होगा। उन्होंने कहा कि डॉ. मिश्र प्रख्यात शिक्षाविद्, कुशल प्रशासक के साथ एक सफल राजनेता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। जिन्होंने अविभाजित बिहार के विकास को एक नई दिशा प्रदान की। विशेषकर बिहार की उच्च शिक्षा डॉ. मिश्र का सदैव ऋणी रहेगी क्योंकि उन्होंने एक ठोस बुनियाद पर इसकी विस्तृत रूपरेखा प्रदान की।
संगोष्ठी में विषय प्रवेश करते हुए डॉ. दीप्ताशु भास्कर ने कहा कि डॉ. जगन्नाथ मिश्र ने बिहार के शिक्षण संस्थानों और शिक्षा नीतियों को नये सिरे से गढ़ा जो कि वर्तमान समय में एकीकृत शिक्षण शिक्षा कार्यक्रम का आधार है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम 2017 से एक परिकल्पना में हमारे समक्ष आया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत इसे मूर्त रूप देने के लिए दिशा निर्देश जारी किये गये। इस कार्यक्रम के द्वारा शिक्षण प्रणाली में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन होगा जो कि राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक आर्थिक विकास का सबल यंत्र होगा। उन्होंने कहा कि ज्ञान का संरक्षण, सम्बर्द्धन और स्थानान्तरण ही शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है। अतः बदलते परिवेश की जरूरतों के मद्देनजर शिक्षकों की आवश्यकताओं को एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम सुलभ बनायेगा। यह युवाओं को शिक्षण को पेशे के तौर पर सुनने का निर्णय लेने में सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के संदर्भ में जो समस्याएं दृष्टिगत हैं वह चिन्ता नहीं बल्कि चिन्तन का विषय है। जिसे छात्र, शिक्षक और प्रशासक मिलकर समाधान ढूंढेंगे।
डॉ. अशफाक अंजुम ने कहा कि बिहार के शिक्षा व्यवस्था में डॉ. जगन्नाथ मिश्र के योगदान को उद्यृत करते हुए कहा कि हमें इस महान व्यक्तित्व के जन्म दिन को शिक्षक सम्मान दिवस के रूप में मनाना चाहिये। परन्तु शिक्षकों का सम्मान आज समाज में ह्रास होता जा रहा है। जिसका कारण है कि आज के युवा शिक्षण में जुड़ने का निर्णय तब लेते हैं जब किसी अन्य विधा में उन्हें जीविकोपार्जन का मौका नहीं मिलता। एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम शिक्षण से जुड़ने वाले अभ्यर्थियों को ज्यादा विकल्प उपलब्ध करायेगा।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा कि हमारे जीवन में शिक्षक का योगदान अमूल्य है। अतः हर व्यक्ति अपनी काबिलियत के बल पर अन्य क्षेत्र में सफल हो सकते हैं। किन्तु एक शिक्षक के रूप में उनका व्यक्तित्व और प्रतिभा विशेष होनी चाहिये। एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम से ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण सुदृढ़ होगा। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय परिवार डॉ. जगन्नाथ मिश्र के उन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे की यहां नामांकित छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के द्वारा जॉब मार्केट के अनुरूप बनाये जा सके साथ ही उनका चारित्रिक निर्माण कर उन्हें समाज और राष्ट्र निर्माण में जोड़ सकें।
महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के शिक्षण संकाय के डीन प्रो॰ (डॉ॰) आशीष श्रीवास्तव ने ऑनलाइन माध्यम से अपने आख्यान में कहा कि एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम का महत्व समझने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की संरचना को समझना जरूरी है। उन्होंने इस संरचना के औचित्य को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृणन के उस वक्तव्य से जोड़ कर बताया कि जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में शिक्षक बनने की प्रक्रिया को भी सघन प्रयत्न की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षक किसी देश का सामाजिक मूल्य निर्धारित करता है। अतः शिक्षकों के बदले किसी और तकनीकी माध्यम को शैक्षणिक व्यवस्था में नहीं जोड़ा जा सकता है। इस आलोक में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के द्वारा उन परिवर्तनों की चर्चा की जो शिक्षण व्यवस्था में क्रान्तिकारी कदम साबित होंगे। उन्होंने कहा कि एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम वैसे शिक्षकों के निर्माण में सहायक है जो इसकी सार्थकता को सिद्ध करेंगे। लेकिन यह भी सत्य है कि आज हम तकनीक के उपयोग को शिक्षण में समाहित करने को विवश हैं। इसलिए शिक्षकों को टेक्निकली सबल होना होगा। वैसे शिक्षक पारम्परिक शिक्षकों को स्थानान्तरित कर सकते हैं। एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम इसका साधन बनेगी। किन्तु इसमें अनेक चुनौतियां भी हैं। उन चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने मानव संसाधन की कमी, समन्वय उचित पाठ्यक्रम आदि बताया। संभाषण को विराम देते हुए उन्होंने कार्यक्रम के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह ‘‘टीचर्स वाई च्वाइस नोट वाई चान्स’’ को सम्पुष्ट करेगा।
सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के शिक्षण संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ. रूद्र नारायण चौधरी ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं, शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारीगण उपस्थित थे।