PATNA : बिहार में कोरोना टेस्टिंग के नाम पर गड़बड़ी सामने आने के बाद नीतीश सरकार की नींद उड़ गई है. शनिवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने प्रेस कांफ्रेस कर सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने जानकारी दी कि इस मामले में सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कई अफसरों को सस्पेंड किया है. उन्होंने बताया कि सिविल सर्जन और चिकित्सीय पदाधिकारी को शोकॉज किया गया है. जहां-जहां गड़बड़ी हुई है स्वास्थ्य विभाग की ओर से सम्बंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण की मांग की गई है.
आपको बता दें कि बिहार के जमुई और शेखपुरा जिले में कोरोना टेस्टिंग के नाम पर गड़बड़ी सामने आई है. शुक्रवार को बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जमुई के सिविल सर्जन समेत वहां के कई स्वास्थ्य कर्मियों को सस्पेंड कर दिया. कई अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई. इस मामले में जमुई के सिविल सर्जन डॉ. विजयेंद्र सत्यार्थी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुधांशु लाल को सस्पेंड कर दिया. इनके अलावा प्रतिरक्षण पदाधिकारी पर भी गाज गिरी. बरहट और सिकंदरा के प्रभारी को भी निलंबित किया गया.
शनिवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने प्रेस कांफ्रेस में कहा कि कोरोना जांच में गड़बड़ी का मामला सामने आया है, इसकी जांच की जा रही है. अब तक 26 जिलों की रिपोर्ट सामने आ गई है. उन्होंने कहा कि गड़बड़ी की सूचना के बाद जमुई के डीएम अविनाश कुमार सिंह और शेखपुरा की जिलाधिकारी इनायत खान को जांच के लिए कहा गया है. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 10 टीमों का गठन कर अलग-अलग जिलो में भेजा गया.
उन्होंने आगे कहा कि 24 जिलों के डीएम को प्रखंड स्तर पर जांच का निर्देश दिया गया है. जांच टीम को फोन नम्बर और अड्र्स का पता लगाने का निर्देश दिये गया. जमुई जिले के बरहट और सिकंदरा में जांच में गड़बड़ी पाई गई. वहां संबंधित पदाधिकारियों पर कार्रवाई हुई. शेखपुरा में जांच के दौरान कोई गड़बड़ी नही पाई गई है. डीएम की जांच रिपोर्ट में 3 बातें साफ हैं. व्यक्ति मिल रहे हैं लेकिन मोबाइल नम्बर किसी और का है.
अररिया जिले के फारबिसगंज और अररिया में जांच वाला शख्स तो मिला लेकिन नम्बर नही मिला है. कई जगह एएनएम और लैब टेक्नीशियन का नम्बर दिया गया है, जिसे लेकर संबंधित अधिकारी को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है. इतना ही नहीं शिवहर के पुरनईया में भी 30 से 40 ऐसे मामले सामने आये हैं.
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एक पत्रकार ने सवाल किया कि भोजपुर जिले में भी बड़े पैमाने पर अनियमितता पाई गई है. सैकड़ों ऐसे लोग हैं, जिनके सिर्फ नाम दिए हुए हैं. भोजपुर में कोरोना जांच कराने वाले सैकड़ों लोगों के फॉर्म में न तो मोबाइल नंबर है और न ही उनके घर का एड्रेस दिया हुआ है. इसपर प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने जांच की बात स्वीकार की और पत्रकार को वो लिस्ट सौंपने को कहा. उन्होंने कहा कि भोजपुर जिले के सहार और उदवंतनगर प्रखंड में जांच की गई है. बाकी जो दावे किये जा रहे हैं, उसकी भी जांच की जाएगी. विभाग इसको गंभीरता से लेते हुए जांच कर रहा है.
आपको बता दें कि बिहार में कोरोना टेस्ट रिपोर्ट के आंकड़ों में नाम, उम्र और फोन नंबर में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है. पटना, जमुई और शेखपुरा जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में करीब 600 डेटा एंट्री और जांच रिपोर्ट, दोनों में ही गड़बड़ी हुई है. 'इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पटना, शेखपुरा और जमुई के 6 PHC में 16, 18 और 25 जनवरी को कोरोना जांच के 588 एंट्री की जांच की गई तो पता चला कि डेटा प्रोटोकॉल को पूरा करने के लिए नाम, उम्र और मोबाइल फोन नंबर की पूरी डेटा एंट्री ही फर्जी थी.
जब इन डेटा का मिलान किया गया तो पता चला कि जमुई जिले के बरहट की 230 एंट्री में 12, सिकंदरा की 208 एंट्री में 43 और जमुई सदर की 150 में 65 मामलों में ही कोरोना जांच को वेरिफाई किया जा सका. यही हाल फोन नंबरों का भी रहा. बरहट में तीन अलग-अलग तारीखों के 14, 11 और 11 फोन नंबर गलत पाए गए. जमुई के बरहट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 0000000000 रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है, जो कि उन 48 लोगों में से 28 लोगों के मोबाइल नंबर के रूप में है, जिन्हें 16 जनवरी को कोविड जांच के रूप में दिखाया गया था. 'इंडियन एक्सप्रेस' में कहा गया है कि 25 जनवरी को भी 83 लोगों में से 46 के मोबाइल नंबर की जगह 10 शून्य लिखा गया है. PHC जमुई सदर में भी 16 जनवरी को 150 एंट्री में से 73 के लिए मोबाइल नंबर की जगह 10 शून्य का इस्तेमाल किया गया है.
बरहट में ही एक ऐसा फोन नंबर मिला जिसे आरटी-पीसीआर टेस्ट के 26 मामलों में दर्ज किया गया था. यह फोन नंबर यहां से सौ किलोमीटर दूर बांका जिले के शंभूगंज निवासी मजदूर बैजू रजक का था, उसने इन लोगों से किसी तरह के संबंध से इनकार किया. इन 26 में 11 पुरुष, 6 महिलाएं और 9 बच्चे थे. ऐसा ही मामला शेखपुरा PHC में भी देखने को मिला. शेखपुरा में पीएचसी के कर्मचारी धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि उनका फोन नंबर 16 जनवरी की डेटा एंट्री में 6 लोगों के लिए इस्तेमाल किया गया है. मैं कोविड सेक्शन में काम नहीं कर रहा था. मुझे इससे कोई लेना-देना नहीं है.