कोरोना से निपटने में सबसे फिसड्डी बिहार ! हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार से पूछा- लोगों को बचाने के लिए क्या तैयारी हुई

कोरोना से निपटने में सबसे फिसड्डी बिहार ! हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार से पूछा- लोगों को बचाने के लिए क्या तैयारी हुई

PATNA :  देश में एक बार फिर से कोरोना का संक्रमण काफी तेजी से बढ़ने लगा है. बिहार के कई जिलों में भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों के मिलने की संख्या बढ़ने लगी है. राजधानी पटना में भी हालत अब धीरे-धीरे बिगड़ते जा रहे हैं. ये बातें राज्य राज्य सरकार की ओर से खुद कही गई हैं. हालत को देखते हुए गुरूवार को एक बार फिर से नई गाइडलाइन नीतीश सरकार की ओर से जारी की गई है. लोगों को तमाम एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं.


उधर पटना हाईकोर्ट ने भी नीतीश सरकार से जवाब मांगा है. पटना हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना महामारी से निपटने के लिए की जा रही कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट 8 दिसंबर तक कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है. गुरूवार को जेपी स्वतंत्रता सेनानी दिनेश कुमार सिंह और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई की.


याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सिटी स्कैन सहित एमआरआई मशीन पीपीपी मोड पर काम कर रही है. इस कारण मरीजों को जांच कराने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार को जो आरटीपीसीआर मशीन की रिपोर्ट भेजी गई है, उसमें बिहार 15 प्रतिशत के साथ सबसे निचले पायदान पर है.


उन्होंने न्यायालय को बताया कि कोरोना की जांच में लगभग 40 फीसदी रिपोर्ट सही नहीं होती है. राज्य में आरटीपीसीआर मशीनों की काफी कमी है. जांच भी काफी कम संख्या में हो रही है.