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1st Bihar Published by: Updated Thu, 28 Jan 2021 12:32:18 PM IST
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PATNA : कोरोना महामारी के दौर में सरकार ने लोगों से वादा किया था कि कोरोना की वजह से मरने वाले लोगों के परिजनों को 4 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी. मुख्यमंत्री राहत कोष से आश्रितों को यह आर्थिक मदद दी जानी है लेकिन सरकार ने जो वादा कोरोना काल में किया वह पूरा नहीं हो पा रहा है.
पटना में कोरोना की वजह से अब तक 409 मरीजों की मौत हुई है लेकिन इसमें से केवल 134 से मृतकों के परिजनों को ही सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता राशि मिल पाई है. कोरोना से जिन लोगों की मौत हुई उनके परिजन आज भी सिविल सर्जन कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं. दरअसल, राज्य स्वास्थ्य समिति के वेब पोर्टल पर आ रही तकनीकी परेशानी के कारण परिजनों को सीएम राहत कोष से मिलने वाली यह राशि लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
कोरोना से जिन लोगों की मौत हो गई उनका वेरिफिकेशन जिला सिविल सर्जन कार्यालय को करना है. वेरिफिकेशन के बाद सिविल सर्जन कार्यालय से जानकारी राज्य स्वास्थ्य समिति के पोर्टल पर भेजी जाती है, मगर बताया जा रहा है कि पोर्टल में जानकारी अपडेट करने में समस्या हो रही है जिसकी वजह से लोगों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं. तकनीकी परेशानी यह है कि अगर किसी व्यक्ति की कोरोना से मौत हुई और 2 दिन के अंदर पोर्टल पर जानकारी अपडेट नहीं की गई तो इसे पोर्टल बाद में अपडेट नहीं ले रहा. आर्थिक सहायता मिलने में व्यवहारिक परेशानी यह है कि जिस किसी परिवार के शख्स की मौत कोरोना की वजह से हुई हो, वह पहले अपनी परेशानी का सामना करेगा या फिर मुआवजे के लिए 2 दिन के अंदर सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाएगा.
सरकारी दांवपेच में मामला इस कदर उलझा हुआ है कि 40 फ़ीसदी से भी कम लोग अब तक मुआवजे की राशि ले पाए हैं. प्रदेश में अब तक 409 से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हुई है लेकिन इसमें से कितनों को अब तक आर्थिक मदद मिल पाई है, यह एक बड़ा सवाल है. इस मामले पर स्वास्थ्य विभाग ने अब तक अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है. पटना जिले से मुआवजा लेने वाले लोगों के लिए एक बड़ी शर्त यह रखी है कि अगर कोरोना से किसी मरीज की मौत हुई है तो उसका अंतिम संस्कार भी पटना में ही किया जाना चाहिए. इसके लिए विशेष विद्युत शवदाह गृह बनाया गया है, वेरिफिकेशन में इस कॉलम को भी रखा गया है. जिन लोगों के परिजनों की मौत कोरोना से हुई है, वह लगातार डेथ सर्टिफिकेट के लिए भी कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं.