क्या चीन अपने बनाए कोरोना वैक्सीन का पाकिस्तानी नागरिकों पर करेगा ट्रायल?

क्या चीन अपने बनाए कोरोना वैक्सीन का पाकिस्तानी नागरिकों पर करेगा ट्रायल?

DESK : कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है. इसके प्रभाव को देखते हुए दुनिया भर के वैज्ञानिकों का मानना है की इस बीमारी से पूरी तरह से निजात केवल इसकी वैक्सीन ही दिला सकती है. जब तक वैक्सीन का आविस्कर नहीं हो जाता तब तक कोरोना वायरस से छुटकारा मिलना संभव नहीं है.

ऐसी स्थिति में सभी देश चाहें वो विकसित हो या विकासशील देश, सभी कोरोना की वैक्सीन बनाने की कोशिश में लगे हुए है. अमेरिका, इंग्लैंड और चीन इसमें बड़ी गंभीरता से लगा हुआ है हो भी क्यों ना, यदि कोई देश निकट भविष्य में कोरोना की वैक्सीन बनाने में सफल हो जाता है तो ये उस देश की इकोनोमी के लिए वरदान होगा. कोरोना वायरस द्वारा मचाई गई तबाही से ये देश मिनटों में उबर जायेगा साथ ही देश को हुए आर्थिक घाटे की भी भरपाई हो जायेगी.


जैसा की आप जानते हैं जब कभी कोई वैक्सीन बनाई जाती है तो उस वैक्सीन का मानव ट्रायल  किया जाता है. मौजूदा वक्त में दुनिया भर में मानव ट्रायल्स के तौर पर 7 वैक्सीन कैंडिडेट्स पर काम चल रहा है. इनमें से 3 अकेले चीन के पास हैं. इस ट्रायल में सामान्यतः उन लोगों को चुना जाता है जो अपनी इच्छा से इसमें शामिल होना चाहते हैं. साथ ही ये लोग उस देश के नागरिक होते हैं. 

बरहाल, पाकिस्तानी अख़बारों में छपी रिपोर्ट की माने तो चीन अपने लैब में बनी वैक्सीन का ट्रायल पाकिस्तानी नागरिकों पर करेगा. बुधवार को, पाकिस्तानी अख़बारों में ऐसी रिपोर्ट छपी थी कि सिनोफार्म नाम की एक चीनी फार्मा कंपनी ने COVID-19 वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के स्वास्थ्य विभाग से संपर्क साधा है. पाकिस्तान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ को भेजी चिट्ठी में इस कंपनी ने प्रस्ताव दिया कि यदि वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के लिए पाकिस्तान मंजूरी देता है तो, COVID-19 वैक्सीन के लॉन्च होने पर पाकिस्तान को पहले कुछ देशों की सूचि में रखा जायेगा जिन्हें COVID-19 की वैक्सीन सप्लाई की जाएगी.


दिलचस्प बात यह है कि सिनोफार्म कंपनी अभी तक डब्ल्यूएचओ की अहम कैंडिडेट वैक्सीन लिस्ट के तहत लिस्टेड ही नहीं है. ऐसे में इस प्रस्तावित ट्रायल की सुरक्षा को लेकर शक बढ़ा जाता है.

वॉशिंगटन स्थित वुड्रो विल्सन की ग्लोबल फैलो फरहाना इस्पहानी ने इस कदम के पीछे चीन की मंशा पर सवाल उठाया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि क्या वो प्रधानमंत्री जिनमें देश की मस्जिदों को बंद करने के लिए अक्ल या इच्छाशक्ति नहीं दिखी, वो चीन को इसके लिए ना कह पाएंगा.  वहीं सामरिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का कहना है कि चीन पाकिस्तान का इस्तेमाल COVID-19 वैक्सीन के ट्रायल के लिए करेगा, ताकि वह बाकी विकसित देशों को पिछाड़ सके.