चैत्र नवरात्रि कल से, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट

चैत्र नवरात्रि कल से, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट

DESK : चैत्र नवरात्रि की शुरुआत कल यानी 13 अप्रैल से होने जा रही है. कल से शुरू होने वाली इस नवरात्रि में नौ दिनों तक माता की पूजा-अर्चना होगी. इन नौ दिनों में भक्त पूरी श्रद्धा से मां की भक्ति में लग जाते हैं. नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है.


बता दें कि नवरात्रि की शुरूआत कलश स्थापना के साथ होती है. कलश स्थापना और पूजा की विशेष तैयारी की जाती है. कलश स्थापना के लिए 13 अप्रैल को सुबह 5:42 से 9:56 तक 11:38 से 12:29 दोपहर तक अभिजित मुहूर्त है. इसके साथ ही कल से चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही विक्रमी सम्‍वत 2078 का प्रारंभ भी होगा. अश्विनी नक्षत्र का स्वामी मंगल के ही दिन पर इस बार “आनंद” नामक संवत्सर का आरंभ होगा. आनंद संवत्सर का राजा और मंत्री दोनों महत्वपूर्ण पदों पर मंगल का आधिपत्य रहेगा. वित्त मंत्री इस बार देवगुरु बृहस्पति होंगे. मंगल का राजा होना मंगल और दंगल दोनों को इंगित कर रहा है.


आइए जानते हैं उन पूजन सामग्री के बारे में जिसकी जरूरत आपको पूजा के दौरान पड़ सकती है.

नवरात्रि पूजा की सामग्री

लाल रंग मां दुर्गा का सबसे खास रंग माना जाता है. इसलिए पूजा शुरू करने से पहले लाल रंग के आसन का इंतजाम कर लें. आप लाल रंग के कपड़े का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा मां के लिए लाल चुनरी, कुमकुम, मिट्टी का पात्र, जौ, साफ की हुई मिट्टी, जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश, लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, पानी वाला नारियल, फूल माला और नवरात्रि कलश मंगा लें. मां दुर्गा को खाली चुनरी कभी नहीं चढ़ानी चाहिए. चुनरी के साथ सिंदूर, नारियल, पंचमेवा, मिष्ठान, फल, सुहाग का सामान चढ़ाने से मां खुश होती हैं और आर्शीवाद देती है. मां दुर्गा को चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, महावर, बिंदी, काजल चढ़ाना चाहिए.


अगर आप नवरात्र‍ि में अखंड ज्योति जलाना चाहते हैं तो पीतल या मिट्टी का दीया साफ कर लें. जोत के लिए रूई की बत्ती, रोली या सिंदूर, चावल जरूर रखें. इसके साथ ही नवरात्रि में रोज हवन करना चाहते हैं तो हवन सामग्री भी मंगाकर रख लें. हवन के बिना मां की पूजा अधूरी भी मानी जाती है. इसके लिए हवन कुंड, लौंग का जोड़ा, कपूर, सुपारी, गुग्ल, लोबान, घी, पांच मेवा और अक्षत का इंतजाम कर लें.