कैबिनेट की बैठक में CM को जवाब देने वाला दाँतनिपोर शिक्षामंत्री बिलबिलाता- पिलपिलाता, चरण वंदना में झुक गया: BJP का चंद्रशेखर पर तीखा हमला

कैबिनेट की बैठक में CM को जवाब देने वाला दाँतनिपोर शिक्षामंत्री बिलबिलाता- पिलपिलाता, चरण वंदना में झुक गया: BJP का चंद्रशेखर पर तीखा हमला

PATNA: पटना में बुधवार को राजभवन में सार्वजनिक तौर पर सीएम नीतीश कुमार का पैर छूने वाले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पर बीजेपी ने तीखा हमला बोला है. भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री निखिल आनंद ने कहा है- कैबिनेट बैठक में सीएम को जवाब देने वाला दाँतनिपोर शिक्षामंत्री बिलबिलाता- पिलपिलाता, चरण वंदना में झुक गया।


बता दें कि बुधवार को राजभवन में पटना हाईकोर्ट के नव नियुक्त चीफ जस्टिस का शपथ ग्रहण समारोह था. वहां सीएम नीतीश कुमार समेत कई मंत्री मौजूद थे. उसी दौरान शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने नीतीश कुमार के पैर छुए. इसके बाद बीजेपी नेता निखिल आनंद ने तीखा हमला बोला है।


निखिल आनंद ने कहा कि- “बिहार के शिक्षा मंत्री को "भाट-चारण" नहीं कहूँगा. ये जातियों के नाम हैं, पूरे समाज का अपमान होगा. कैबिनेट बैठक में सीएम को जवाब देने वाला दाँतनिपोर शिक्षामंत्री बिलबिलाता- पिलपिलाता, चरण वंदना में झुक गया. शिक्षा मंत्रीजी! हिम्मत है तो रामचरितमानस के बयान को सीएम समक्ष दुहरायें.”


बता दें कि सरकारी कार्यक्रमों में हिन्दू धर्म और धर्म ग्रंथों को लगातार कोसने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर जब सार्वजनिक तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पैर छुए तो वहां मौजूद लोग हैरान रह गये थे. इससे पहले कभी शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को नीतीश कुमार का सार्वजनिक तौर पर पैर छूते नहीं देखा गया था. हां, ये खबर जरूर आयी थी कि रामचरित मानस विवाद में उन्होंने कैबिनेट की बैठक में ही नीतीश कुमार से बहस लड़ा लिया था. नीतीश कुमार ने सार्वजनिक तौर पर ये कहा था कि शिक्षा मंत्री को रामचरित मानस पर नहीं बोलना चाहिये लेकिन फिर भी चंद्रशेखर छात्रों, शिक्षकों के बीच ही नहीं बल्कि दूसरे सरकारी कार्यक्रमों में भी लगातार विवादित बयान देते रहे थे।


मंत्री को क्या हुआ?

सूत्रों की मानें तो शिक्षा मंत्री की बेचैनी बढ़ी हुई है. रामचरित मानस से लेकर दूसरे विवादित मुद्दों पर उनकी बयानबाजी को राजद का समर्थन हासिल था. लेकिन अब जिस तरह से तेजस्वी यादव ईडी और सीबीआई के मामले में फंसे हैं उससे राजद के मंत्री बेचैन है. उन्हें पता है कि केस मुकदमे में फंसे तेजस्वी यादव कमजोर हो गये हैं. तभी उन्हे विधानसभा में ये घोषणा करनी पड़ी कि मुझे मुख्यमंत्री नहीं बनना है. दिलचस्प बात ये भी थी कि विधानसभा में स्वास्थ्य विभाग के बजट पर चर्चा के दौरान जब तेजस्वी का भाषण हो रहा था तो पूरे भाषण में “माननीय मुख्यमंत्री” की रट लगाये रहे।


शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर जान रहे हैं कि नीतीश कुमार उनसे नाराज हैं. रामचरित मानस विवाद पर नीतीश कुमार ने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जतायी थी. खबर ये भी आयी थी कि कैबिनेट की बैठक में जब नीतीश कुमार ने मंत्री को विवादित बयानबाजी नहीं करने की सलाह दी थी तो मंत्री चंद्रशेखर ने उन्हें जवाब दे दिया था कि वे बोलना बंद नहीं करेंगे। उसके बाद भी शिक्षा मंत्री लगातार विवादित बयानबाजी करते रहे. हाल में ही एक यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में राज्यपाल को उनके विवादित बयानों पर टिप्पणी करनी पड़ी।


नीतीश की नाराजगी शिक्षक नियुक्ति के मामले में भी झलकी थी. शिक्षा मंत्री बार-बार ये एलान कर रहे थे कि सांतवे चरण की शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नियमावली बन गयी है. उन्होंने फाइल पर साइन कर दिया है. नीतीश कुमार ने विधानसभा में कहा कि मंत्री संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन कर रहे हैं. नीतीश बोले कि कोई फाइल मेरे पास आयी ही नहीं और मंत्री का बयान छप रहा था कि फाइल भेज दी गयी है. इससे मैसेज जा रहा है कि मंत्री नियुक्ति करना चाहते हैं और मुख्यमंत्री उसे रोक रहे हैं।


जाहिर है नीतीश कुमार अपने शिक्षा मंत्री से नाराज थे. लेकिन शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को तेजस्वी यादव और अपनी पार्टी का समर्थन हासिल था. लिहाजा वे हनक दिखा रहे थे. मामला तब फंसा जब तेजस्वी यादव ही फंस गये. उसके बाद राजद के तमाम बड़बोले नेताओं के बोल बदल गये. ये साफ साफ दिखने लगा कि तेजस्वी यादव के फंसने के बाद नीतीश कुमार मजबूत हो गये. ऐसे में शायद शिक्षा मंत्री को लगा कि उनकी कुर्सी जा सकती है. लिहाजा पैर छूना नीतीश को खुश करने का जरिया माना जा रहा है।


वैसे पैर छूने के वाकये के मीडिया में आने के बाद मंत्री ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने ट्विटर पर लिखा- “कुशल नेतृत्वकर्ता, बिहार विश्वकर्मा माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश जी जो उम्र में मुझसे बड़े हैं, उनका पैर छू आशीर्वाद लेता रहा हूँ इससे भी कॉर्पोरेट स्वामित्व गोदी मीडिया के पेट में मरोड़े आ रही! पुरखों की दी शानदार शिष्टाचार में भी राजनीति तलाशने की कोशिश ओछी मानसिकता की हद है.”