DESK: तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमले की झूठी खबर फैलने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जतायी है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के बीजेपी प्रवक्ता प्रशांत उमराव पटेल को माफी मांगने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशांत उमराव एक अधिवक्ता हैं उन्हें तो और अधिक जिम्मेदार होना चाहिए।
बीजेपी नेता उमराव पटेल को 10 अप्रैल को तमिलनाडु पुलिस थाने में पेश होने का निर्देश दिया है। उमराव पटेल के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को बताया कि आरोपी ने केवल उन खबरों को ट्वीट किया था जिन्हें पहले ही कई मीडिया एजेंसियों की ओर शेयर किया जा चुका था। उन खबरों को उमराव पटेल ने डिलिट कर दिया है। इसके बावजूद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें परेशान किया जा रहा है।
वही पुलिस की ओर से एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जो शर्त लगाया है उसमें कुछ भी गलत नहीं है। ये शर्त केवल पूछताछ के लिए लगाया गया है। बीजेपी नेता उमराव पटेल पुलिस के सामने भी पेश नहीं हुए। बीजेपी नेता का ट्वीट गैर-जिम्मेदाराना है यह लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाला है।
उनकी ओर से अभी तक ऐसा कोई हलफनामा नहीं दिया है कि जिसमें यह कहा गया हो कि आगे से वे दोबारा कभी इस तरह का पोस्ट नहीं करेंगे। उमराव पटेल एक अधिवक्ता हैं उन्हें इस तरह का पोस्ट नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बीजेपी नेता पटेल को जिम्मेदार होना चाहिए। उन्हें अगली सुनवाई से पहले मांफी मांगनी होगी।
बता दें कि बीते दिनों बीजेपी नेता उमराव पटेल ने सोशल मीडिया पर 23 फरवरी को एक ट्वीट किया था जिसमें कहा गया था कि तमिलनाडु में हिन्दी बोलने की वजह से 15 प्रवासी मजदूरों को पीटा गया इस दौरान 12 लोगों की मौतें हुई।