बिहार में जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल, पटना में NMCH के प्रिंसिपल का घेराव, वेतन बढ़ाने के लिए धरने पर बैठे डॉक्टर

बिहार में जूनियर डॉक्टरों का हड़ताल, पटना में NMCH के प्रिंसिपल का घेराव, वेतन बढ़ाने के लिए धरने पर बैठे डॉक्टर

PATNA : इस वक्त एक बड़ी खबर राजधानी पटना से सामने आ रही है. बिहार के मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. पटना के दो बड़े अस्पताल पीएमसीएच और एनएमसीएच में डॉक्टर धरने पर बैठ गए हैं. वेतन वृद्धि की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं. इन्होंने एनएमसीएच के प्राचार्य से भी मुलाकात की है.


जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल के कारण पीएमसीएच और एनएमसीएच में मरीजों की काफी परेशानी हो रही है. बिहार के अन्य अस्पतालों में भी मरीज काफी परेशान नजर आ रहे हैं. इलाज में बाधा आ रही है. हड़ताल के कारण कई अस्पतालों में ओपीडी और कुछ अन्य विभागों ठप हो गई है. जिसकी वजह से मरीजों के इलाज में बाधा आ रही है. इमरजेंसी सेवा को छोड़ किसी भी सेवा में डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं गए हैं.


इधर पटना में एनएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों में आक्रोश बढ़ गया है. नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रिंसिपल से इन्होंने मुलाकात की है. आपको बता दें कि पिछले साल  2020 के दिसंबर महीने में कोरोना काल के दौरान 10 दिनों की हड़ताल के बाद सरकार ने मांगें मान ली थी लेकिन अब तक नालदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल उस पर ध्यान नहीं दिया है. जिसके कारण जूनियर डॉक्टरों में नाराजगी देखी जा रही है.



हड़ताल पर गए डॉक्टरों का कहना है कि सिस्टम बार-बार हड़ताल के लिए मजबूर कर रहा है. उन्होंने कई बार पदाधिकारियों के सामने अपनी मांगों को रखा लेकिन इसपर अब तक अमल नहीं हो पाया है. जिसके कारण मजबूरन उन्हें धरने पर बैठना पड़ रहा है. पिछले साल जूनियर डॉक्टर हर तीन साल पर होने वाला मानदेय का पुनर्निर्धारण की मांग कर रहे थे. सरकार ने इनकी मांगों को मान लिया था और मानदेय पुनर्निर्धारण को बढ़ाकर चार साल कर दिया था. मगर डॉक्टरों का कहना है कि पटना के पीएमसीएच समेत राज्य के अन्य अस्पतालों में राशि का भुगतान कर दिया है लेकिन नालंदा मेडिकल कॉलेज में अब तक पैसा अटका हुआ है.


उनका कहना है कि जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन बिहार के प्रतिनिधियों के साथ जेडीए ने नालंदा मेडिकल कॉलेज ने भी कई बार मांग की है लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. डॉ रामचंद्र और सचिव डॉ कुशाग्र गर्ग का कहना है कि इस मनमानी के खिलाफ अब आंदोलन ही एक मात्र रास्ता बचा है.