PATNA : यह बात सुनने में आपको थोड़ी अजीब जरूर लग सकती है लेकिन में खबर सौ फीसदी सही है। राज्य में शराबबंदी को सफल बनाने का जिम्मा पुलिस और प्रशासन के ऊपर था लेकिन हाल के वक्त में जहरीली शराब कांड और अन्य मामलों ने पुलिस की विफलता को उजागर किया है। जो काम राज्य की पुलिस नहीं कर पाई अब उसे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे करेंगे। दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों में शराबबंदी कानून की समीक्षा को लेकर यह बात कही थी कि जन जागरूकता के अभियान में तेजी लाई जाएगी। अब राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब दो करोड़ बच्चे मद्य निषेध के लिए जागरूकता दूत बनेंगे। नशामुक्त बिहार बनाने की मुहिम में शामिल होकर वे खुद भी इसको लेकर सजग होंगे और दूसरों को भी जागरूक करेंगे। नशा मुक्ति दिवस यानी 26 नवम्बर को राज्य के सभी जिलों में मद्यनिषेध के प्रति जागरूकता के लिए स्कूली बच्चे प्रभातफेरी निकालेंगे।
26 नवंबर की सुबह 8 से 9 बजे तक प्रभातफेरी निकाली जाएगी। इसमें बच्चों के हाथों में नारे और स्लोगनों का प्लेकार्ड होगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चे बड़ों और समाज को नशा, खासकर मद्यपान से दूर रहने के लिए प्रेरित करेंगे। सरकार के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने मद्यनिषेध को लेकर विभिन्न गतिविधियां पूरे नवम्बर माह संचालित करने का आदेश जिलों को दिया है। गौरतलब है कि मद्यनिषेध अभियान का नोडल शिक्षा विभाग ही था और ऐतिहासिक मानव श्रृंखला इसी महकमे के संयोजन में बनी थी, जो लिमका बुक ऑफ रेकार्ड में दर्ज है।
'शराब वर्जित, बिहार हर्षित' विषय पर कक्षा 9 से 12 जबकि 'मद्यपान बंद, घर-घर आनंद' विषय पर कक्षा 6 से 8 के छात्र-छात्राओं के बीच प्रतियोगिता कराई जाएगी। अपर मुख्य सचिव ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से कहा है कि 15 नवम्बर को विद्यालय स्तर पर, 17 नवम्बर को प्रखंड स्तर पर जबकि 19 नवम्बर को जिला स्तर पर ये प्रतियोगिताएं आयोजित करें। अब देखना होगा कि बच्चों के साथ इस जागरूकता अभियान का फायदा बिहार में शराबबंदी को किस हद तक मिल पाता है।