बिहार में लालटेन नहीं, टॉर्च युग: सरकारी हॉस्पिटल में बत्ती गुल, फ्लैश लाइट की रोशनी में मंत्री ने लिया अस्पताल का जायजा

बिहार में लालटेन नहीं, टॉर्च युग: सरकारी हॉस्पिटल में बत्ती गुल, फ्लैश लाइट की रोशनी में मंत्री ने लिया अस्पताल का जायजा

SAHARSA : बिहार में लालू-राबड़ी का लालटेन युग खत्म हुए लगभग डेढ़ दशक से ज्यादा समय हो गया. फिलहाल बिहार में डबल इंजन की सरकार है. लेकिन डबल इंजन की सरकार में सरकारी अस्पतालों की हालत खस्ता है. यहां शुद्ध से बिजली भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. इसकी बानगी बिहार के सहरसा जिले में देखने को मिली है. जहां बिहार सरकार के मंत्री के निरीक्षण के दौरान ही बिजली गुल हो गई और मंत्री जी को मोबाइल के फ़्लैश लाइट की रोशनी में ही अस्पताल का जायजा लेना पड़ा.


दरअसल गुरूवार को बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश कुमार मिश्रा सहरसा पहुंचे. सहरसा जिला के प्रभारी मंत्री होने के नाते जीवेश मिश्रा ने कई सरकारी कार्यालयों और अस्पतालों का निरीक्षण किया. इस क्रम में मंत्री जीवेश मिश्रा सहरसा सदर हॉस्पिटल में भी जायजा लेने पहुंचे. इस दौरान हॉस्पिटल की बत्ती गुल हो गई. मंत्री जी हॉस्पिटल में दवा की सूची की फाइल चेक कर रहे थे. बिजली जाने के बाद मंत्री जीवेश मिश्रा को मोबाइल के फ़्लैश लाइट की रोशनी से ही काम चलाना पड़ा. 



सदर अस्पताल के निरीक्षण में जितनी सारी गड़बड़ियां पाई गई कि मंत्री भी हैरान रह गए. बिजली जैसी मुलभुत सुविधाओं की कमी को देखते हुए मंत्री ने अस्पताल के प्रबंधक को जमकर फटकार लगाई और उन्होंने भविष्य में इस तरह की अनियमितता पर कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी.  निरीक्षण के क्रम में प्रभारी मंत्री ने देखा कि सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मरीज के बेड पर चादर तक नहीं था. 



गौरतलब हो कि बिहार के सरकारी अस्पतालों में टॉर्च की रोशनी में ईलाज और ऑपरेशन करने को लेकर कई बार ख़बरें सामने आ चुकी हैं. हर बार सदर अस्पताल के प्रबंधक और सिविल सर्जन अपना बचाव कर निकल जाते हैं लेकिन इसबार तो मंत्री के सामने ही व्यवस्था की दम घुट गई. आलम ये रहा कि मरीज तो मरीज मंत्री को भी टॉर्च की रोशनी में ही अपना काम करना पड़ा. 



इस घटना को लेकर जब मंत्री जीवेश मिश्रा से मीडियाकर्मियों ने बात की तो उन्होंने जवाब दिया कि सरकार हॉस्पिटल में थोड़ी बहुत कमी है. हालांकि पहले से स्थितियां बहुत हद तक ठीक हुई हैं. जो कमी है, उसमें सुधार किया जा रहा है. अगर दुबारा निरीक्षण में कोई कमी पाई जाती है तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.