DESK : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि गवाहों के प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए एक "हिस्ट्रीशीटर", जिसके खिलाफ 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं, उसे बिहार की जेल में क्यों रखा जाए. राज्य से बाहर क्यों स्थानांतरित नहीं किया जाए. न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने इस बात पर गौर किया है और राज्य के वकील से यह सवाल किया है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज हैं, उसे दिल्ली की जेल में क्यों नहीं लाया जा सकता. साथ ही मामले की सुनवाई वीडियो-कॉन्फ्रेंस से क्यों ना की जाए.
आपको बता दें कि शीर्ष अदालत ने बिहार के गृह विभाग के सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसी भी व्यक्ति को बक्सर जेल में बंद सतीश पांडेय से मिलने की अनुमति नहीं दी जाए. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि उसे कोई मोबाइल फोन ना मिले. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि पांडेय के खिलाफ लंबित सभी मामले में उसे वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबंधित अदालत के समक्ष पेश किया जाए, ना कि व्यक्तिगत रूप से पेश किया जाए.
इसके साथ ही पीठ ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया है कि दो सप्ताह के भीतर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल किया जाए. बता दें कि याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने पीठ को बताया कि उन्होंने इन आरोपियों को बिहार से बाहर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है. उन्होंने यह भी बताया कि पांडेय के खिलाफ 100 से अधिक मामले लंबित हैं.